प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 15 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता को पर्याप्त मेडिकल सुविधा और मुआवजा देने का आदेश पारित किया है। दरअसल पीड़िता अपने 29 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की मांग कर रही थी, लेकिन उसके पिता अपनी बेटी की मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद गोद लिए जाने तक अजन्मे शिशु की देखभाल करने के लिए सहमत हो गए। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता का भ्रूण 30 सप्ताह का है और 24 सप्ताह से अधिक के भ्रूण को समाप्त करने से पीड़िता के जीवन को भी खतरा हो सकता है। पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में मेडिकल बोर्ड ने सर्वसम्मति से कहा था कि हालांकि पीड़िता किसी भी ऑपरेशन से गुजरने के लिए मेडिकली फिट है, लेकिन प्री-मेच्योरिटी के कारण नवजात जीवित रह भी सकता है और नहीं भी।
अंत में कोर्ट ने पीड़िता के पिता का निर्णय जानने के बाद राज्य को उन्हें मेडिकल सुविधा का खर्च, गोद लेने तक नवजात शिशु के भरण-पोषण तथा अन्य सुविधाएं देने का निर्देश दिया। उक्त आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने दिया और इसके साथ ही जिला मजिस्ट्रेट, चंदौली को रानी लक्ष्मीबाई महिला सम्मान कोष योजना के तहत दुष्कर्म पीड़िता को अनुग्रह राशि प्रदान करने का निर्देश भी दिया।
गौरतलब है कि मेडिकल रिपोर्ट हाईकोर्ट के 4 सितंबर के आदेश के अनुसार डॉक्टरों की एक टीम द्वारा दाखिल की गई थी। तत्कालीन आदेश में अदालत ने यह भी कहां था कि पीड़िता को यौन उत्पीड़न करने वाले व्यक्ति के बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।