मेरठ के हस्तिनापुर में गंगा पूरे उफान पर है। एक बार फिर गंगा का जलस्तर बढ़ने लगा है। इसी वजह से आम जनमानस को काफी परेशानी हो रही है। 15 से ज्यादा गांवों पर इस समय बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। 6 से अधिक गांव ऐसे हैं जहां पिछले 20 दिनों से पानी नहीं उतरा। खादर क्षेत्र में गंगा का पानी फिर तबाही मचाने को तैयार है। 10 से अधिक गांवों से पूरी तरह संपर्क कट गया है और सुरक्षा टीमें भी तैनात की गई हैं। बाढ़ क्षेत्र के कई वीडियो सामने आ रहे हैं। जिसमें गंगा में जलस्तर बढ़ने के कारण कटान बढ़ता जा रहा है। तेजी से हो रहे कटान के कारण खादर की मिट्टी, खेत पानी में बह रहे हैं। जिसमें 200 साल पुराना बरगद का पेड़ और एक पूरा भवन भी बाढ़ में बह गया है।
गंगा का जलस्तर इतनी तेजी से बढ़ा है कि किनारे पर तेजी से कटान हो रहा है। किनारे पर बना एक भवन देखते-देखते बाढ़ में बहता चला गया। इसका वीडियो भी सामने आया है। किनारे खड़े कुछ युवक बाढ़ देख रहे थे। तभी अचानक किनारे पर कटान शुरू हो गया। महज 10 सेकेंड में पूरा भवन नीचे से कटता हुआ गिरा और बाढ़ में बह गया है। युवकों ने इसका वीडियो भी शेयर किया है।
एक वीडियो में 200 साल पुराना बरगद का पेड़ देखते-देखते बाढ़ में बह गया। गंगा की तेज धारा 200 साल पुराने गहरे जमे पेड़ को जड़सहित पूरा बहा ले गई। गनीमत रही कोई जान, माल की हानि नहीं हो पाई। लेकिन गांव के कुछ लोगों ने इस दृश्य का वीडियो बना लिया है।
वहीं गांवों में पशुओं के चारे, पानी की दिक्कत हो रही है। जनता को भी रोजमर्रा की जरूरी चीजों की दिक्कत है लोग घरों में छतों पर कैद हो गए हैं। गांवों में आवागमन के लिए नावें चल रही हैं। जरूरत के अनुसार लोग ट्रेक्टर से जा रहे हैं। खेती पूरी तरह चौपट हो गई है। दर्जनभर गांवों से संपर्क कट गया है और केवल नाव ही सहारा बनी है। पानी नदी की धारा से निकलकर गांवों के बीच तक पहुंच गया है और घरों में घुसना शुरू कर दिया है। प्रशासनिक टीम लगातार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में संपर्क बनाए है।
बाढ़ को लेकर खादर क्षेत्र की बाढ़ चौकियों को अलर्ट मोड में रखा गया है। एसडीआरएफ को तैनात कर दिया गया है। पुलिस-प्रशासन लगातार पानी पर नजर रखे हुए है। एसडीएम मवाना अखिलेश यादव का कहना है कि नदियों किनारे बसे गांवों में अनाउसमेंट करते हुए लोगों को आगाह करते हुए गंगा से दूर रहने की अपील की जा रही है। ग्रामीणों को आगाह किया कि वे गंगा किनारे की ओर न जाए और न ही अपने मवेशियों को भी गंगा के किनारे पर न लेकर, ताकि किसी भी जन-धन हानि से बचा जा सके।
3 लाख 88 हजार क्यूसेक रहा अधिकतम जलस्तर
बिजनौर बैराज से सोमवार की रात्रि खादर क्षेत्र की ओर अधिकतम 3 लाख 88 हजार क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया। यह जलस्तर इस वर्ष का सबसे अधिक है। जिससे खादर क्षेत्र के हालत भयावह कर दिए है। पानी गांवों के बीच तक पहुंच गया है। ग्रामीण घरों की छतों पर शरण लिए हुए है। सबसे अधिक परेशानी पशुपालकों के लिए है। एक तो उनके चारे व भूसे की समस्या और दूसरा उन्हें सुरक्षित स्थान पर कहां ले जाए।