गाजियाबाद के जिला अस्पतालों 700 से अधिक मरीज ऐसे पहुंचे हैं। जिन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी। 24 घंटे के भीतर 50 से अधिक लोगों को अस्थमा का दौरा पड़ चुका है। इनमें से 40 को तुरंत ऑक्सीजन देनी पड़ी।

दिवाली से पहले हवा में धूल और धुएं का जहर लोगों के लिए आफत बनता जा रहा है। वायु प्रदूषण जहां सांस रोगियों की सांसें संकट में डाल रहा है। वहीं इससे बच्चों की सेहत पर भी संकट मंडरा रहा है। बच्चों को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए आईएमए ने एडवाइजरी जारी की है। बच्चों को सुबह और शाम के समय घरों से बाहर निकालने के लिए मना किया गया है। वहीं चिकित्सकों ने वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़ने पर घरों के खिड़की और दरवाजे बंद रखने की सलाह दी है। चाइल्ड स्पेशलिस्ट चिकित्सकों ने अभिभावकों को बच्चों के बदलते व्यवहार पर नजर रखने को कहा है। चिकित्सकों ने अभिभावकों को सलाह दी है कि वो बच्चों को जितना कम हो उतना घर से बाहर जाने दें।

गाजियाबाद एमएमजी अस्पताल इमरजेंसी सांस और दमा के मरीजों से भरी हुई है। लोनी में 105 मरीज सांस की बीमारी से परेशानी होकर पहुंचे हैं। शहर के पांच निजी अस्पतालों में भी ऐेसे मरीजों की संख्या बढ़ी है। एमएमजी और संयुक्त अस्पताल के ओपीडी में हर दूसरा मरीज गले के संक्रमण से परेशान आ रहा है। लोगों में वायु प्रदूषण के चलते सिर दर्द और बेचैनी की शिकायत बढ़ रही है। सरकारी अस्पताल में 30 फीसदी और प्राइवेट में 25 फीसदी ऐसे मरीजों की वृद्धि दर्ज की गई।

छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष अग्रवाल ने बताया कि अचानक वायु प्रदूषण बढ़ने से बीमार लोगों के लिए ट्रिगर का काम कर रहा है। सुबह आठ बजे चार ऐसे मरीज इमरजेंसी में आए जिन्हें भर्ती करना पड़ा। इनमें से तीन का ऑक्सीजन स्तर 70 से 80 के बीच था। मौसम बदलाव होने पर बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो रही है।

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