उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित विख्यात इस्लामी शिक्षण संस्था ‘दारुल उलूम देवबंद’ ने कहा है कि सोशल मीडिया पर उसका कोई आधिकारिक खाता नहीं है और विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर उसके नाम से मौजूद सभी खाते फर्जी हैं। इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने शनिवार को जारी बयान में यह बात कही और ऐसे खाते का प्रबंधन करने वालों से कहा कि वे भ्रम पैदा करना बंद करें।

नोमानी ने कहा कि दारुल उलूम से जुड़ी सभी खबरें और घोषणाएं संस्था की आधिकारिक वेबसाइट पर ही दी जाती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर दारुल उलूम देवबंद के नाम से कई खाते हैं, जिनकी डीपी (डिस्प्ले पिक्चर) पर भी दारुल उलूम की फोटो है। इन खातों पर दारुल उलूम से जुड़ी जो भी खबरें साझा की जाती हैं, उनका संचालन दारुल उलूम प्रबंधन तंत्र द्वारा नहीं किया जाता और ये सभी फर्जी हैं।

नोमानी ने कहा कि सोशल मीडिया पर दारुल उलूम के नाम से संचालित फर्जी खाते गलतफहमी और विवाद का कारण बनते हैं इसलिए वह फर्जी खातों का प्रबंधन करने वालों से अपील करते हैं कि वे इन्हें तुरंत बंद कर दें क्योंकि यह संस्था के सिद्धांतों और विश्वसनीयता के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस तरह का भ्रम फैलाना कानूनी अपराध भी है।

गौरतलब है कि दारुल उलूम देवबंद मुसलमानों को तालीम देने के लिए एक इदारा है यहां कई तरह की इस्लामी शिक्षा दी जाती है। कई सोशल मीडिया यूजर पैसे और नाम कमाने के लिए दारुल उलूम के नाम से सोशल मीडिया पर चैनल और पेज चलाते हैं. कई बार ये पेज दारुल उलूम की वेबसाइट से जानकारी लेकर अपने पेज पर डालते हैं तो कई बार एजेंडा सेट करने के लिए दारुल उलूम के हवाले से जानकारी साझा करते हैं अब इन फर्जी पेज पर दारुल उलूम के मोहतमिम सख्त हुए हैं।

 

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