सेमी हाईस्पीड वंदे भारत ट्रेनों की हालत अब बेहद खराब हो गई है। ट्रेनें चिटके हुए शीशों के साथ दौड़ रही हैं और इन शीशों को बदलने के बजाय उन्हें सेलो टेप से चिपकाया जा रहा है, जिससे यात्रियों की सुरक्षा खतरे में डाली जा रही है। रेलवे विभाग की ओर से वंदे भारत ट्रेनों का संचालन तेजी से बढ़ाया जा रहा है, लेकिन ट्रेन के रखरखाव में लापरवाही साफ दिखाई दे रही है।

चिटके हुए शीशों के साथ दौड़ रही ट्रेनें
बता दें कि राजधानी लखनऊ से पटना, देहरादून, प्रयागराज, गोरखपुर, मेरठ, अयोध्या, आनंदविहार के लिए वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं, जिनमें यात्री संख्या अच्छी है। हालांकि, इन ट्रेनों की मेंटीनेंस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिसके कारण शीशों के टूटने और चिटकने की घटनाएं बढ़ रही हैं। हाल ही में दिल्ली से अयोध्या जाने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस (गाड़ी संख्या 22426) में सी-3, सी-4, सी-5 और एग्जीक्यूटिव क्लास की बोगियों ई-1 और ई-2 के शीशे चिटके हुए पाए गए थे, जिन्हें सेलो टेप से चिपकाया गया था। वहीं, मेरठ से लखनऊ जाने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस की चेयरकार बोगियों में भी तीन शीशे टूटे हुए मिले। इस तरह की स्थिति यात्रियों के लिए खतरे का कारण बन सकती है और किसी भी समय हादसा हो सकता है।

टूटी हुई नोज और शीशों की बढ़ती संख्या
लखनऊ से मेरठ के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस की नोज भी टूटी हुई पाई गई है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह हादसा ट्रैक पर पशुओं के आ जाने की वजह से हुआ। लेकिन इस कारण की बजाय मैटीरियल की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। टूटी हुई नोज को ठीक नहीं किया गया है, जिससे ट्रेन की सुरक्षा पर संदेह उत्पन्न हो रहा है। वहीं, वंदे भारत ट्रेनों के रखरखाव से जुड़े कर्मचारी बताते हैं कि हर महीने करीब 45 शीशों के टूटने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जो ट्रेन की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाती हैं। यह टूट-फूट केवल पथराव के कारण नहीं हो रही है, बल्कि मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की तुलना में वंदे भारत के शीशे अधिक कमजोर साबित हो रहे हैं।

आरडीएसओ करेगा जांच
सूत्रों के अनुसार, वंदे भारत ट्रेनों के शीशों के टूटने और चिटकने के मामलों की जांच आरडीएसओ (अनुसंधान, अभिकल्प और मानक संगठन) करेगा। जांच के बाद शीशों की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जाएगा और रिपोर्ट रेल मंत्रालय को सौंपी जाएगी। हालांकि, आरडीएसओ के अधिकारी इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।

 

 

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