7 जनवरी की सुबह नेपाल-तिब्बत सीमा के पास भूकंप के तेज झटकों ने लोगों को झकझोर दिया। भारतीय समयानुसार सुबह 6:35 बजे आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.1 मापी गई। न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, इस आपदा में अब तक 32 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। हालांकि, माना जा रहा है कि मृतकों की संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।

भूकंप ने तिब्बत के कई इलाकों में बुरी तरह से जनजीवन प्रभावित किया है। कई घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं, और मलबे में लोगों के फंसे होने की खबरें सामने आ रही हैं। राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है, लेकिन कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण राहत पहुंचाने में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।

भूकंप के झटके न केवल नेपाल में, बल्कि भारत के दिल्ली-एनसीआर, सिक्किम, बिहार और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में भी महसूस किए गए। भूकंप के दौरान लोग अपने घरों और इमारतों से बाहर निकल आए। हालांकि, शुरुआती रिपोर्ट्स में जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है।

बिहार के मोतिहारी और पूर्वी चंपारण जिले में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए, जहां नेपाल से नजदीकी होने के कारण लोगों में डर का माहौल रहा। भूकंप का झटका बहुत तेज नहीं था, लेकिन लोगों ने सतर्कता बरतते हुए बाहर निकलने का निर्णय लिया।

सोशल मीडिया पर भूकंप के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें अफरा-तफरी के दृश्य देखे जा सकते हैं। नेपाल के खुमजुंग क्षेत्र में लगे लाइव कैमरों ने भूकंप के प्रभाव को रिकॉर्ड किया, जिनके वीडियो को लोग व्यापक रूप से साझा कर रहे हैं।

नेपाल में भूकंप के केंद्र की गहराई लगभग 10 किलोमीटर बताई गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र में भूकंपीय गतिविधियां अक्सर होती रहती हैं, लेकिन इस बार की तीव्रता अधिक थी। भारतीय और नेपाली अधिकारियों ने इलाके की निगरानी तेज कर दी है, और आपातकालीन सेवाओं को सतर्क कर दिया गया है।

फिलहाल किसी बड़ी क्षति की खबर नहीं है, लेकिन स्थानीय लोगों में भय का माहौल है। अधिक जानकारी के लिए प्रशासन की ओर से रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।

 

 

 

 

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