प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने घोषणा की कि सुप्रीम कोर्ट अब व्हाट्सऐप संदेशों द्वारा जानकारी साझा करेगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की मौजूदगी के पिच्छत्तरवें वर्ष में यह छोटी सी योजना की शुरुआत की है।
व्हाट्सऐप के रोजाना की जिंदगी में शामिल होने और इसके शक्तिशाली संचार सुविधा होने की बात भी उन्होंने की। इस पहल के अंतर्गत एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड तथा शीर्ष अदालत के समक्ष निजी तौर पेश होने वाले वादियों को मुकदमा ऑनलाइन दाखिल करने, वाद सूची, आदेशों तथा निर्णयों के संबंध में जानकारी प्राप्त होगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसे क्रांतिकारी कदम बताते हुए इसकी सराहना की। प्रधान न्यायाधीश ने व्हाट्सऐप नम्बर साझा करते हुए स्पष्ट किया कि इस पर कॉल या संदेश प्राप्त नहीं होंगे। नि:संदेह यह सबसे बड़ी अदालत को पेपरलेस बनाने की तरफ उठा बड़ा कदम है।
तकनीक संबंधी सुविधाओं को जितनी जल्दी हो सके रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल कर लेना उचित होता है। प्रधान न्यायाधीश निरंतर अदालती काम को लेकर ऐसी व्यवस्थाएं दे रहे हैं। उन्हें सुप्रीम कोर्ट जजों में सबसे ज्यादा फैसले लिखने का रुतबा प्राप्त है। छह वर्ष के भीतर 513 फैसले लिख चुके हैं।
न्याय व्यवस्था को सुचारू और पारदर्शी बनाने के लिए समय-समय पर उन्होंने बड़े कदम उठाए हैं। विभिन्न फैसलों को उन्होंने क्षेत्रीय भाषा में अनुदित करवाने की व्यवस्था करके तथा हिन्दी, तमिल, उड़िया और गुजराती में फैसलों का अनुवाद करने के लिए समिति का गठन भी किया।
देश में 48 करोड़ से अधिक व्हाट्सऐप प्रयोगकर्ता हैं, जो 2025 तक 80 करोड़ तक पहुंचने का अंदाजा है। हालांकि व्हाट्सऐप मेटा टेक्नॉलाजी कंपनी की सुविधा है, जिसके सीईओ मार्क जकरबर्ग हैं। किसी भारतीय संचार संस्थान को इस जरूरत को समझते हुए आगे कदम बढ़ाने की सख्त जरूरत है।
सरकार, देश के अन्य बड़े संस्थान और गोपनीय दस्तावेज के लिए देसी तकनीक का प्रयोग किया जाना उचित है। तकनीक के मामले में हम दूसरों पर निर्भर होते जा रहे हैं। यह बड़ी चुनौती है। बावजूद इसके तकनीक का इस्तेमाल सुविधाओं के लिए करना वक्त की मांग है, इसके बिना काम नहीं चल सकता।