सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी नीति में अनियमितताओं के मामले में बीआरएस नेता के कविता को जमानत दे दी है। इन मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय कर रहे हैं। न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने सबूतों से छेड़छाड़ न करने और गवाहों को प्रभावित न करने जैसी शर्तें भी लगाई हैं।
के कविता को सीबीआई और ईडी दोनों मामलों के लिए 10 लाख रुपए का जमानत बांड देना होगा। इसके अलावा उसे अपना पासपोर्ट भी जमा करना होगा। अदालत ने कहा कि कविता पांच महीने से हिरासत में है और 493 गवाहों और कई दस्तावेजों के साथ मुकदमा लंबा चलेगा।
रोहतगी ने इस बात पर भी जोर दिया कि कविता एक महिला हैं और एमएलसी हैं। इसलिए उनके भागने का जोखिम कम है। उन्होंने उनके फोन बदलने के आरोपों को निराधार बताते हुए इसकी तुलना कार बदलने से की। उन्होंने उल्लेख किया कि वह एक पूर्व मुख्यमंत्री की बेटी भी हैं।
जांच एजेंसी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि उसने अपना फोन नष्ट कर दिया है। उसे फॉर्मेट कर दिया है। रोहतगी ने जवाब दिया कि उसने इसे अपने नौकर को दे दिया है। एएसजी राजू ने आश्चर्य व्यक्त किया। क्योंकि यह एक आईफोन था। न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन ने कहा कि लोग अक्सर संदेश हटा देते हैं। जिसमें वह खुद भी शामिल हैं।
एएसजी राजू ने बताया कि मैसेज डिलीट करना आम बात है। लेकिन फोन को फॉर्मेट करना अलग बात है। उन्होंने अदालत को बताया कि कॉल डिटेल रिकॉर्ड कविता को अन्य आरोपी व्यक्तियों से जोड़ते हैं। 1 जुलाई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने आबकारी नीति मामले से संबंधित सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में कविता की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने हाल ही में के कविता और अन्य के खिलाफ आबकारी नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट में पूरक अभियोजन शिकायत दायर की है। आरोप पत्र में कविता के अलावा चनप्रीत सिंह, दामोदर, प्रिंस सिंह और अरविंद कुमार का नाम भी शामिल है।
कविता को ईडी ने 15 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया था। उसके बाद 11 अप्रैल 2024 को सीबीआई ने भी गिरफ्तारी की थी। सीबीआई जांच जुलाई में दिल्ली के मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट से शुरू हुई थी। जिसमें आबकारी नीतियों से संबंधित कई अधिनियमों और नियमों के प्रथम दृष्टया उल्लंघन का संकेत दिया गया था।
ईडी और सीबीआई ने आबकारी नीति में संशोधन, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाने, उचित मंजूरी के बिना लाइसेंस शुल्क माफ करने या कम करने में अनियमितताओं का आरोप लगाया। इन कार्रवाइयों को जीएनसीटीडी अधिनियम 1991 और दिल्ली आबकारी नियम-2010 सहित विभिन्न नियमों का उल्लंघन बताया गया।