अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए अंतरिम जमानत दे दी है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर रोक लगाने से इनकार किया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित करने आदेश हरियाणा सरकार को दिया है। कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी है लेकिन अभी ही टिप्पणी क्यों की गई?

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत की बैंच ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने मामले की जांच के लिए 3 अधिकारियों की एक एसआईटी बनाने के आदेश दिए हैं। बता दें कि प्रोफेसर अली खान ने आपॅरेशन सिंदूर को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाली विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी पर सवाल उठाए थे। प्रोफेसर की ओर से सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें देते हुए कहा कि अली खान की पत्नी प्रेग्नेंट हैं और उन्हें जेल भेज दिया गया है। इस पर कोर्ट ने अली खान की टिप्पणी पर सवाल उठाते हुए कहा कि हमें यकीन है कि वह बहुत शिक्षित है। आप दूसरों को चोट पहुंचाए बिना बहुत सरल भाषा में अपनी बात कह सकते थे, ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर सकते थे जो सरल और सम्मानजनक हो।

कपिल सिब्बल ने कहा कि मेरे मुवक्किल का बयान देखें जिसके आधार पर आपराधिक दायित्व तय किया जा रहा है। प्रोफेसर की पोस्ट पढ़ने के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि यह किसी अखबार में छपी खबर है या सोशल मीडिया पोस्ट। इस पर सिब्बल ने कहा कि ये एक टिवट्र की पोस्ट है। कोर्ट ने कहा कि हर कोई बोलने के अधिकार की बात कर रहा है लेकिन अपना कर्तव्य भूल जा रहा है।

प्रोफेसर के खिलाफ दर्ज हुई थी 2 एफआईआर

बता दें कि 7 मई को प्रोफेसर अली खान ने सोशल मीडिया समेत विभिन्न सार्वजनिक मंचों पर ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी कुछ टिप्पणियां की थीं। इसके बाद प्रोफेसर पर 2 एफआईआर दर्ज हुई। पहला मामला सोनीपत के जठेड़ी गांव के सरपंच की ओर से दर्ज कराया गया। जबकि दूसरा मामला महिला आयोग की चेयरपर्सन रेणु भाटिया ने दर्ज कराई थी।

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