सुप्रीम कोर्ट ने गोवंश का वध करने पर पाबंदी लगाने का निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया और कहा कि सक्षम विधायिका इस पर निर्णय ले।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अदालत उन्हें कोई विशेष कानून बनाने के लिए मजबूर नहीं कर सकती।

एक अर्जी का निपटारा करते हुए न्यायालय ने कहा, जहां तक पशुओं की गंभीर रूप से विलुप्तप्राय स्वदेशी नस्लों को बचाने और उनकी संरक्षा के लिए की गई याचना का संबंध है, तो अपीलकर्ता संबंधित राज्य सरकारों के समक्ष अभ्यावेदन दे सकते हैं।

न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने अगस्त 2018 के एनजीटी के आदेश के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।

इस दौरान पीठ ने स्वदेशी नस्ल की गायों की रक्षा के संबंध में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अख्तियार किए गए साझा रुख पर विचार किया।

एनजीटी ने उस आवेदन पर यह आदेश पारित किया था जिसमें कई दिशानिर्देश मांगे गए थे। इसमें यह भी सुनिश्चित करने की बात शामिल थी कि स्वदेशी नस्ल के दुधारू मवेशियों का वध ना किया जाए।

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