उत्तर प्रदेश के विशेष पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने कहा कि जबतक ‘हमारे पास पर्याप्त सबूत न हो’ तब तक यह कहना उचित नहीं होगा कि मई में अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वाली और नोएडा में अपने साथी के साथ रहने वाली पाकिस्तानी नागरिक सीमा हैदर एक जासूस है। जब कुमार से पूछा गया कि क्या सीमा को निर्वासित किया जाएगा, तो उन्होंने सीधा जवाब देने से इनकार कर दिया। उन्होंने भारत-नेपाल सीमा पर किसी भी सुरक्षा चूक से इनकार किया, जहां से सीमा ने भारत में प्रवेश किया था। सीमा (30) और उसके भारतीय साथी सचिन मीना (22) से उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीसी) ने सोमवार और मंगलवार को पूछताछ की थी। उन्हें 4 जुलाई को ग्रेटर नोएडा में स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार किया था, लेकिन 7 जुलाई को एक अदालत ने उन्हें जमानत दे दी।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, एटीएस की पूछताछ पर राज्य पुलिस ने कहा कि सीमा हैदर के पास से 2 वीडियो कैसेट, 4 मोबाइल फोन, 5 ‘अधिकृत’ पाकिस्तानी पासपोर्ट और अधूरे नाम और पते वाला एक ‘बिना इस्तेमाल किया गया पासपोर्ट’ और एक पहचान पत्र मिला है। यह पूछे जाने पर कि क्या सीमा पाकिस्तानी जासूस हो सकती है, विशेष डीजीपी ने कहा कि इतनी जल्दी कुछ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि मामला दो देशों से जुड़ा है। जब तक हमारे पास पर्याप्त सबूत नहीं हो जाते, तब तक इस संबंध में कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। जमानत के बाद से सीमा मीडिया से बातचीत में कह रही है कि वह नेपाल के रास्ते भारत में दाखिल हुई और सचिन के साथ रहने के लिए बस में नोएडा आई। दोनों की पहचान पबजी खेलते समय ऑनलाइन हुई थी।

यह पूछे जाने पर कि क्या नेपाल सीमा के रास्ते भारत में पाकिस्तानी नागरिक का प्रवेश एक सुरक्षा चूक है, कुमार ने कहा कि ऐसा नहीं है। हमारी सीमा (नेपाल के साथ) खुली है। वहां पासपोर्ट की आवश्यकता नहीं है। किसी के चेहरे पर कुछ भी नहीं लिखा है। कुमार ने यह भी कहा कि वह भारत में कैसे दाखिल हुई, इसकी जांच के लिए कोई टीम नेपाल नहीं भेजी जा रही है। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या सीमा को निर्वासित किया जा सकता है तो उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कानून मौजूद है और इसका पालन किया जाएगा। कानूनी आदेश के अनुसार कार्रवाई की जा रही है। सीमा और सचिन से एटीएस की पूछताछ पर अधिकारी ने कहा कि सभी एजेंसियां अपना काम कर रही हैं।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने सोमवार और मंगलवार को दोनों से एटीएस की पूछताछ की जानकारी देते हुए कहा कि यह जोड़ा पहली बार 2020 में ऑनलाइन गेम पबजी के जरिये एक दूसरे के संपर्क में आया था। पुलिस के अनुसार, करीब 15 दिनों तक ऑनलाइन गेम खेलने के बाद उन्होंने अपने व्हाट्सएप नंबरों का आदान-प्रदान किया। पुलिस ने कहा कि सचिन और सीमा इस साल मार्च में नेपाल के काठमांडू में पहली बार व्यक्तिगत रूप से मिले, जहां वे 10 से 17 मार्च तक एक साथ रहे। सीमा पर्यटन वीजा पर 10 मई को कराची से दुबई होते हुए नेपाल दोबारा लौटी। नेपाल में वह काठमांडू से पोखरा पहुंची और रात को रुकी। इसके बाद सीमा ने 12 मई की सुबह पोखरा से बस से रूपन्देही-खुनवा (खुनवा) सीमा से भारत में सिद्धार्थनगर जिले के रास्ते दाखिल हुई। लखनऊ और आगरा के रास्ते वह 13 मई को गौतमबुद्ध नगर के रबूपुरा कट पहुंची।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा कि सचिन ने पहले से ही रबूपुरा में एक किराए का कमरा ले लिया था, जहां वे एक साथ रहने लगे। स्थानीय पुलिस ने सीमा को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने के आरोप में और सचिन को अवैध अप्रवासियों को शरण देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। हालांकि, उन दोनों को 7 जुलाई को एक स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी थी और वे अपने 4 बच्चों के साथ रबूपुरा इलाके के एक घर में रह रहे हैं। सीमा ने यह भी कहा है कि वह पाकिस्तान वापस नहीं जाना चाहती और सचिन के साथ रहना चाहती है। उसने यह भी दावा किया कि उसने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया है। सोमवार को एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने देश की सरकार को सूचित किया है कि ‘प्यार ही वह एकमात्र’ कारक है जिसके कारण चार बच्चों की मां एक हिंदू व्यक्ति के साथ रहने के लिए भारत गई है, जिससे उसकी दोस्ती एक ऑनलाइन खेल मंच के माध्यम से हुई थी।

 

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