दिल्ली सरकार के अनुसार लोगों के लिए सरकार की सभी विभागों की वेबसाइट को वेब पोर्टल से इंटीग्रेट किया गया है। 2008 में लॉन्च की गई दिल्ली सरकार की मौजूदा वेबसाइट पुरानी तकनीक पर आधारित थी, जो ट्रैफिक लोड बढ़ते ही क्रैश हो जा रही थी। इसकी वजह से लोगों को सरकारी सेवाएं और जानकारियां प्राप्त करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। इस अवसर पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार की नई वेबसाइट क्लाउड पर आधारित है। इसमें आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है और स्पेस भी पर्याप्त है। अब ट्रैफिक बढ़ने पर भी वेबसाइट क्रैश नहीं होगी। सीएम ने कहा कि कोविड के दौरान दिल्ली सरकार ने कुछ स्कीम की घोषणा की थी। उस दौरान एकदम से वेबसाइट पर ट्रैफिक बढ़ गया था और सर्वर तक क्रैश कर गए थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
सीएम ने कहा कि अब हमारे पास लेटेस्ट तकनीक है और पर्याप्त स्पेस है। हम आने वाले समय में इस बात पर भी नजर रखेंगे कि लोगों की क्या-क्या जरूरते हैं। कौन सी चीजों को जनता ज्यादा देख रही है और जनता को कौन सी चीज ज्यादा चाहिए। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी का भविष्य आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस है। हम लोगों की सेवाएं बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का सरकार के कामकाज में अधिक से अधिक कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं, इस पर ज्यादा ध्यान देंगे।
वहीं, वेबसाइट के लॉन्च के अवसर पर दिल्ली के आईटी मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि 2007-8 के बाद अब जाकर सरकार के विभिन्न विभागों की वेबसाइट का पुनर्गठन हो सका है। अभी तक हम जब भी कोई प्रोग्राम लांच करते थे तो ट्रैफिक बढ़ते ही वेबसाइट क्रैश हो जाती थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोविड के दौरान पैरा ट्रांजिट ड्राइवरों को पांच हजार रुपए की आर्थिक मदद देने की घोषणा की थी। उस समय जैसे ही वेबसाइट पर ट्रैफिक बढ़ता था, तब वेबसाइट क्रैश हो जाती थी। नई वेबसाइट में इन बातों का ध्यान रखा गया है। इसलिए इसमें आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। अब अगर वेबसाइट पर प्रति सेकेंड लाखों की संख्या में ट्रैफिक होता है तब भी ये क्रैश नहीं होगी। पब्लिक यूजर फ्रेंडली बनाने के लिए वेबसाइट में सभी आवश्यक चीजों का ध्यान रखा गया है। अब लोग मोबाइल पर भी वेबसाइट को बड़ी आसानी से एक्सेस कर सकते हैं। पहले की वेबसाइट मोबाइल फ्रैंडली नहीं थी। मोबाइल पर पूरा कंटेंट नहीं आता था।
दिल्ली सरकार के अनुसार दिल्ली सरकार की मौजूदा वेबसाइट्स को 2008 में आईटी विभाग द्वारा एक निजी कंपनी की तरफ से एक कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम (सीएमएस) का उपयोग करके लॉन्च किया गया था। इसमें इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक पुरानी थी और सर्वर मौजूदा समय में प्रचलन में नहीं है। पुरानी तकनीक के कारण मौजूदा सीएमएस को बनाए रखना चुनौती है। इस वजह से बार-बार आउटेज और ब्रेकडाउन का सामना करना पड़ता है। आईटी विभाग ने नई तकनीक और मानकों का उपयोग कर दिल्ली सरकार की नई वेबसाइटों को डिजाइन, विकसित, होस्ट और संचालित करने के लिए एक एजेंसी को नियुक्त किया है। नई वेबसाइट्स जीआईजीडब्ल्यू (सरकारी वेबसाइटों के लिए दिशानिर्देश) या डब्ल्यूसीएजी (वेब सामग्री अभिगम्यता दिशानिर्देश) के अनुरूप है। वेबसाइट लांच से पहले सभी विभागों को मौजूदा वेबसाइटों की सामग्री से मिलान करने और उपयोगकर्ता स्वीकृति परीक्षण (यूएटी) प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा गया था।
दिल्ली सरकार के अनुसार सरकार ने अब अपनी सभी मौजूदा वेबसाइटों को इस नए प्लेटफॉर्म पर माइग्रेट कर दिया है। वेबसाइट बनाते समय मजबूत और स्केलेबल आर्किटेक्चर को लागू किया गया है और दुनिया की सबसे अच्छी प्रैक्सिेज और स्टैंडर्ड का पालन किया गया है। वेबसाइट को आवश्यकता के अनुसार अधिक सूचनात्मक, सुंदर और उन्नत किया गया है। अब वेबसाइट पर दिल्ली सरकार की सभी जानकारी एक क्लिक में आसानी से उपलब्ध हो सकेगी। लोग आसानी से अपनी जानकारी तलाश सकेंगे। वेबसाइट बनाते समय इन सारी बातों का ध्यान रखा गया है।
दिल्ली सरकार के अनुसार सरकार की नई वेबसाइट नई तकनीक पर आधारित है। अब कोइ भी व्यक्ति अपने मोबाइल, टैबलेट या वेब ब्राउजर पर इसको बड़ी आसानी से एक्सेस कर सकता है। इसमें विभिन्न विभागों के सोशल मीडिया अकाउंट को एक साथ इंटीग्रेटेड किया गया है। पुरानी वेबसाइट्स की तुलना में नई वेबसाइट को एक्सेस करना बहुत आसान है। इसमें कोई भी कंटेंट बहुत तेजी से कम समय में लोड किया जा सकता है। वेबसाइट पर ट्रैफिक, विजिटर और समय का विश्लेषण आदि भी है। किसी भी स्तर पर थर्ड पार्टी एपीआई के साथ एकीकृत करना आसान है। वेबसाइट पर यूजर के जुड़ाव, अवधारण और व्यवहार को ट्रैक करने के लिए डेटा एनालिटिक्स भी उपलब्ध है।