शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने बुधवार को भारत द्वारा वैश्विक समुदाय तक कूटनीतिक पहुंच बनाने को केंद्र द्वारा ध्यान भटकाने और पहलगाम में हुई चूक पर कठिन सवालों का सामना करने से खुद को बचाने के लिए एक ‘प्रयोग’ और ‘ध्यान भटकाने की रणनीति’ करार दिया। इस चूक के कारण 25 पर्यटक और एक स्थानीय नागरिक की मौत हो गई थी। आतंकवाद के खिलाफ देश की एकजुट लड़ाई के मद्देनजर शिवसेना (यूबीटी) नेता की विवादास्पद टिप्पणी से बड़ा राजनीतिक हंगामा मचने वाला है।
संजय राउत ने कहा कि दुनिया भर के 33 देशों का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल कुछ भी ठोस परिणाम नहीं देगा, क्योंकि इसमें ‘फोकस और उद्देश्य’ का अभाव है। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की अफ्रीकी और यूरोपीय देशों की यात्रा पर सवाल उठाते हुए उन्होंने पूछा कि दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों को दूर करने में वे क्या उद्देश्य पूरा करेंगे और पाकिस्तान को उसकी धरती से संचालित हो रहे आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों के बारे में बताने में उनके बयानों का क्या प्रभाव पड़ेगा।
राउत ने सवालिया अंदाज में कहा कि उन देशों में प्रतिनिधिमंडल भेजने की क्या ज़रूरत है जिनका भारत और पाकिस्तान के मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है? लाइबेरिया, कांगो और सिएरा लियोन जैसे देशों का चयन गंभीर सवाल खड़े करता है। वह कल्याण से शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व वाले एक प्रतिनिधिमंडल का जिक्र कर रहे थे, जो बुधवार सुबह संयुक्त अरब अमीरात के लिए रवाना हुआ और उसके कुछ अफ्रीकी देशों की यात्रा करने की भी संभावना है। राउत ने दावा किया कि इस कदम के पीछे का समय और इरादा बताता है कि इसमें रणनीतिक स्पष्टता का अभाव है।