झांसी में ऐतिहासिक धरोहर देखने के लिए हर साल हजारों टूरिस्ट आते हैं। सैर-सपाटे के लिए झाँसी आने वाले सैलानियों की जेब पर कुछ अतिरिक्त भार भी पड़ सकता है। यहां मिलने वाली सुविधाओं के बदले में सैलानियों से यूजर चार्ज वसूलने पर सरकार विचार कर रही है। यह टैक्स होटल, रेस्ट्रॉन्ट के अलावा कुछ विशेष स्थानों पर बिल में शामिल किया जाएगा। लेखा निदेशालय ने अधिकारियों के साथ बैठक कर यूजर चार्ज पर अन्य प्रदेशों की नीति का अध्ययन करते हुए सुझाव मांगे हैं ।
कई प्रदेश की अर्थव्यवस्था सैलानियों पर निर्भर है। यहां पर्यटन इंडस्ट्री विशाल रूप ले चुकी है। हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू- कश्मीर के अलावा दक्षिण के कई शहरों में सैलानियों का आकर्षण काफी अधिक रहता है तो कई धार्मिक स्थल भी पर्यटन इंडस्ट्री को बढ़ाने में मदद करते हैं। प्रदेश की योगी सरकार ने भी अब पर्यटन के क्षेत्र पर फोकस किया है। सरकार ने इससे राजस्व कमाते हुए विकास का ताना बाना बुना है। इसके लिए मंथन शुरू हो गया है। सरकार अब प्रदेश में आने वाले सैलानियों पर यूजर चार्ज लगाने की तैयारी में है।
दरअसल, सरकार का मानना है कि बाहरी राज्यों या देशों से आने वाले सैलानी जिस शहर में जाते हैं, वहां उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करते हैं। इसलिए यूजर चार्ज वसूला जाना चाहिए। कुछ राज्यों में ऐसी व्यवस्था भी है, जहाँ यूजर चार्ज से ही करोड़ों रुपए का टैक्स सरकार को प्राप्त होता है।
डायरेक्टर लेखा अखिल सिंह ने प्रदेशभर के अधिकारियों की बैठक बुलाई। झांसी से मुख्य कर निर्धारण अधिकारी नगर निगम धीरेन्द्र मोहन भी इस बैठक में शामिल हुए। उन्होंने बताया कि निदेशालय ने यूजर चार्ज को लेकर प्रदेशभर से सुझाव मांगे हैं तथा अन्य प्रदेशों में यूजर चार्ज को लेकर बनाई गई नीति का भी अध्ययन किया जा रहा है।