उत्तर प्रदेश में गाजीपुर जिले की जिलाधिकारी ने फर्जी आय प्रमाण पत्र जारी करने में संलिप्तता के आरोप में जिले के 10 लेखपालों (राजस्व अधिकारियों) को निलंबित कर दिया है। प्रशासन ने यह जानकारी दी। जिलाधिकारी द्वारा यह कार्रवाई तब की गई जब यह पता चला कि इन फर्जी प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल सरकारी नौकरी और अन्य लाभ प्राप्त करने के लिए किया जा रहा था।

गाजीपुर में 10 लेखपालों को DM ने किया सस्पेंड
मिली जानकारी के मुताबिक, जिलाधिकारी आर्यका अखौरी ने कहा कि दरअसल यह पता चला था कि कुछ लेखपाल गरीबी रेखा से ऊपर रहने वाले व्यक्तियों को गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) का आय प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे 10 मामलों की पहचान की गई है, जहां व्यक्तियों ने इन फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पद हासिल करने का प्रयास किया। उनके अनुसार इस सूचना पर कार्रवाई करते हुए, 9 व्यक्तियों की नियुक्ति रोक दी गई। एक आशुलिपिक (स्टेनो) की बेटी की नियुक्ति रद्द कर दी गई क्योंकि उसने भी फर्जी प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया था। नतीजतन, महिला ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

फर्जीवाड़े से नौकरी पाने वालों पर भी शिकंजा
जिलाधिकारी के मुताबिक जांच में यह भी पता चला कि जखनियां में एक लेखपाल ने कई स्थानांतरित लेखपालों की आईडी से आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र जारी किये। उसके विरुद्ध पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है और इस संबंध में गहन जांच की जा रही है। अखौरी ने कहा कि हेराफेरी कर प्रमाण पत्र जारी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। निलंबित किए गए लेखपालों में शिवचरण यादव (सैदपुर तहसील), सुखबीर सिंह (सदर तहसील), विनोद यादव, राहुल यादव, राजेश तिवारी, अभिनव सिंह (जखनिया तहसील), अजीत कुमार पांडे (जमानिया तहसील), सुजीत यादव, राधेश्याम यादव और संजय प्रजापति (कासिमाबाद तहसील) शामिल हैं।

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