कर्नाटक सरकार के आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक के मुसलमानों की सभी जातियों और समुदायों को राज्य सरकार के तहत रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए ओबीसी की सूची में शामिल किया गया है। श्रेणी II-बी के तहत, कर्नाटक राज्य के सभी मुसलमानों को ओबीसी (राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग) आयोग के रूप में माना गया है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने बुधवार इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि कर्नाटक के मुसलमानों की सभी जातियों और समुदायों को राज्य सरकार के तहत रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण देने के लिए अन्य पिछड़े वर्गों की सूची में शामिल किया गया है।
कांग्रेस सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, कर्नाटक में मुस्लिम आबादी 12.92 फीसदी है। एनसीबीसी ने कहा कि श्रेणी II-बी के तहत, कर्नाटक राज्य के सभी मुसलमानों को ओबीसी माना गया है। आयोग ने कहा कि श्रेणी-1 में 17 मुस्लिम समुदायों को ओबीसी माना गया है जबकि श्रेणी-2ए में 19 मुस्लिम समुदायों को ओबीसी माना गया है।

जिन 17 मुस्लिम समुदायों को श्रेणी 1 में ओबीसी माना गया है, वे नदाफ, पिंजर, दरवेश, छप्परबंद, कसाब, फुलमाली (मुस्लिम), नालबंद, कसाई, अथारी, शिक्कालिगारा, सिक्कालिगर, सालाबंद, लदाफ, थिकानगर, बाजीगारा, जोहारी और पिंजारी है।

एनसीबीसी ने कहा कि वर्तमान में पिछड़े और दलित समुदायों ने भी अपने उच्च वर्ग के समकक्षों जैसे सैयद, शेख और पठानों द्वारा निचली जाति के मुसलमानों के सामाजिक भेदभाव के खिलाफ विरोध करना शुरू कर दिया है। एनसीबीसी ने कहा, भारत में मुसलमान अपने समुदाय में सामाजिक विभाजन से अछूते नहीं हैं। इस भेदभाव के कारण, कुंजरे (रायन), जुलाहास (अंसारी), धुनिया (मंसूरी), कसाई (कुरैशी), फकीर (अल्वी), हज्जाम (सलमानी), और मेहतर (हलालखोर) जैसे कमजोर और दलित मुस्लिम समुदाय खुद को प्रस्तुत करते हैं।

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