उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित जामा मस्जिद में रविवार को सर्वेक्षण के काम के दौरान हुई हिंसा के मद्देनजर जिला प्रशासन ने आगामी 30 नवंबर तक जिले में बाहरी लोगों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है। एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई। बयान में कहा गया है कि अब किसी भी बाहरी व्यक्ति, सामाजिक संगठन या जनप्रतिनिधि को जिले में दाखिल होने के लिए प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। जिलाधिकारी राजेंद्र पेसीया ने रविवार देर रात जारी एक आधिकारिक बयान में कहा कि जिले में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 163 के अंतर्गत 30 नवंबर तक निषेधाज्ञा लागू की गई है।

मिली जानकारी के मुताबिक, स्थानीय अदालत में एक याचिका दायर कर दावा किया गया है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद है, वहां पहले हरिहर मंदिर था। उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता एवं मामले में याचिकाकर्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिविजन) की अदालत ने जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए ‘एडवोकेट कमीशन’ गठित करने के निर्देश दिए थे, जिन्होंने 24 नवंबर को सर्वे की शेष कार्यवाही की। इसके बाद मुस्लिम समुदाय ने भारी विरोध प्रदर्शन करते हुए पथराव और आगजनी की। घटना के बाद संभल जिले का माहौल अति संवेदनशील हो गया है।

जिलाधिकारी ने कहा कि इसे देखते हुए एक अक्टूबर से लागू निषेधाज्ञा के वर्णित उपबंधों के अतिरिक्त उपबंधों को शामिल किया जाता है। अब कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जन प्रतिनिधि सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना जिले की सीमा में प्रवेश नहीं करेगा।  उन्होंने कहा कि यह आदेश निषेधाज्ञा एक अक्टूबर, 2024 का अभिन्न अंग रहेगा तथा तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। संभल की जामा मस्जिद में अदालत के आदेश पर रविवार को किए जा रहे सर्वेक्षण का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए थे। इस दौरान 5 व्यक्तियों की मौत हो गई। घटना में उपजिलाधिकारी और पुलिस क्षेत्राधिकारी समेत 20 लोग जख्मी भी हुए हैं।

 

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