राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने बुधवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की एक बैठक में बिना नाम लिए चीन और पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि समूह के सदस्यों को क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए और आस-पास के क्षेत्रों में एकतरफा सैन्य गतिविधियां नहीं करनी चाहिए। नई दिल्ली में एससीओ के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की एक बैठक को संबोधित करते हुए, डोभाल ने क्षेत्रीय संपर्क की आवश्यकता पर जोर दिया, लेकिन यह भी कहा कि इस तरह की पहल परामर्शी और पारदर्शी होनी चाहिए और सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। बता दें कि डोभाल की यह टिप्पणी चीन और पाकिस्तान द्वारा सीमा पर दिए जा रहे टेंशन के बीच आई हैं। भारत से लगती सीमाओं पर चीन और पाकिस्तान कुछ-न-कुछ करता रहता है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति लगातार बनी रहती है।

बैठक में रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारी और एससीओ के क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में चीन और पाकिस्तान के अधिकारियों ने वर्चुअली हिस्सा लिया। एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि एससीओ चार्टर के लक्ष्य और विजन सदस्य देशों को आगे का रास्ता दिखा सकते हैं। चीन का नाम लिए बिना डोभाल ने कहा, ”चार्टर सदस्य देशों से संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता, बल का उपयोग न करने या अंतरराष्ट्रीय संबंधों में इसके उपयोग की धमकी और एकतरफा सैन्य श्रेष्ठता की मांग नहीं करने का आह्वान करता है।” डोभाल ने यूक्रेन में युद्ध को लेकर कहा कि चार्टर सदस्य देशों से अन्य देशों के साथ संबंध बनाए रखने और अंतरराष्ट्रीय युद्धों को रोकने और उनके शांतिपूर्ण समाधान में सहयोग करने का भी आह्वान करता है।

बता दें कि डोभाल के बयान को इसलिए काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि लद्दाख में एलएसी पर पिछले तीन साल से दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंध बने हुए हैं। जून, 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के जवानों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। वहीं, चीन ने मरने वाले अपने सैनिकों की संख्या की जानकारी नहीं दी थी। इसके बाद से कई बार एलएसी पर दोनों देशों के बीच झड़प हो चुकी है। एससीओ की बैठक में डोभाल ने यह भी कहा कि कनेक्टिविटी भारत के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता है। क्षेत्र के भीतर अधिक से अधिक संपर्क बनाने के लिए निवेश करने में सहयोग करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, “कनेक्टिविटी का विस्तार करते समय यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि ऐसी पहल परामर्शी, पारदर्शी और भागीदारीपूर्ण हों और सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें।”

डोभाल ने बिना नाम लिए पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि आतंकवाद और इसका वित्तपोषण वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है। उन्होंने कहा कि वैश्विक आतंकवादी संस्थाओं के खिलाफ प्रतिबंधों को लागू करने के लिए सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों 1267 और 1373 और अन्य संबंधित प्रस्तावों सहित आतंकवाद-रोधी सहयोग प्रोटोकॉल के तहत अपने दायित्वों को पूरा करना चाहिए। बता दें कि भारत 27-29 अप्रैल के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में एससीओ के रक्षा मंत्रियों और 4-5 मई के दौरान गोवा में विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित करने के लिए भी तैयार है। जुलाई में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में इन बैठकों का समापन होगा। साल 2017 में समूह में शामिल होने के बाद पहली बार भारत इस कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है।

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