नेशनल शूटर तारा शाहदेव के जबरन धर्म परिवर्तन मामले में दोषी पति रकीबुल को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। गुरुवार (05 अक्टूबर) रांची स्थित सीबीआई कोर्ट ने रकीबुल उर्फ रंजीत कोहली को सजा सुनाई।

इससे पहले 30 सितंबर को सीबीआई कोर्ट ने रकीबुल को दोषी करार दिया था, जिसके बाद आज सजा का ऐलान किया गया। वहीं रकीबुल की मां कौसर रानी को दस साल की सजा सुनाई गई है।

गुरुवार सीबीआई कोर्ट की विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने बहुचर्चित नेशनल शूटर तारा शाहदेव से जुड़े 8 साल पुराने मामले में सजा सुनाई है। कोर्ट ने तीन दोषियों के खिलाफ सजा का ऐलान किया।

कोर्ट ने दोषी रकीबुल उर्फ रंजीत कोहली को उम्रकैद की सजा, उसकी मां कौशर रानी को दस साल की सजा और साजिश रचने के आरोपी हाईकोर्ट के तत्कालीन रजिस्ट्रार मुस्ताक अहमद को 15 साल कैद की सजा सुनाई है।

बता दें कि साल 2017 में सीबीआई ने राष्ट्रीय शूटर तारा शाहदेव मामले में आरोप पत्र दायर किया था, जिस पर कथित तौर पर उसके पति द्वारा धर्म परिवर्तन करने का दबाव डाला गया था। मालूम हो कि तारा और रकीबुल उर्फ रंजीत का विवाद जुलाई 2014 में हुआ था। शादी के बाद से ही तारा के बाद उत्पीड़न की घटनाएं होने लगी। आरोप है कि शादी के चार-पांच दिन बाद तारा को प्रतिबंधित मांस खाने के लिए दवाब बनाया गया। यहां तक की बंद कमरे में उसके साथ मारपीट भी की जाती थी।

सजा के ऐलान के बाद झारखंड की राजधानी रांची में मीडिया से बात करते हुए नेशनल शूटर तारा शाहदेव ने कहा कि, “मैं कोर्ट और सीबीआई को धन्यवाद देना चाहती हूं, जिन्होंने मुझे न्याय दिलाया। ये न्याय सिर्फ मेरे लिए नहीं है, देश की हर बेटी को ये भरोसा मिलेगा कि जो भी उनके साथ ऐसा करेगा, उसे सजा मिलेगी।”

तारा ने आगे कहा कि जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें डर होगा कि कहीं किसी के साथ ऐसा व्यवहार ना हो… जब मेरी लड़ाई शुरू हुई तो इसे घरेलू हिंसा का नाम दे दिया गया, लेकिन मेरी कोशिश थी कि किसी भी लड़की के साथ ऐसा ना हो. लोग ये शब्द बोलने से झिझकते थे। इस फैसले के बाद वे इसके खिलाफ खुलकर सामने आएंगे।

वहीं दोषी रकीबुल हसन के वकील मुख्तार अहमद ने फैसले के बाद बताया, ”इस मामले में तीन आरोपी हैं। रंजीत सिंह कोहली, मुश्ताक अहमद और कौशर रानी। कौशर रानी को धारा 376 के साथ 120 बी के तहत 10 साल की सजा हुई है। मुश्ताक अहमद 15 साल की सजा हुई है और रणजीत सिंह कोहली को हिरासत में मृत्यु होने तक आजीवन कारावास की सजा दी है। हम उस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे और निश्चित रूप से, हमें वहां से राहत मिलेगी। यह पारिवारिक विवाद का मामला है, वे समाज में एक सम्मानित व्यक्ति हैं। हमें नहीं लगता कि यह इन लोगों के खिलाफ कुछ भी गंभीर है… हम जाएंगे उच्च न्यायालय।”

 

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