शाश्वी रेमेडीज़ प्रा. लि., जो हेल्थकेयर के क्षेत्र में अग्रणी है, को महाराष्ट्र राज्य के इनोवेशन सोसायटी (MSINS) द्वारा अंतरराष्ट्रीय पेटेंट के लिए ₹10 लाख का अनुदान प्राप्त हुआ है। यह अनुदान महाराष्ट्र सरकार के कौशल विकास और उद्यमिता विभाग (SDED) के अंतर्गत प्रदान किया गया है। यह मान्यता इस बात का प्रमाण है कि शाश्वी रेमेडीज़ ने गंभीर कैंसर जैसी बीमारी के लिए प्रभावी फार्मा समाधान खोजने की दिशा में निरंतर प्रयास किए हैं।

हर वर्ष दुनियाभर में 6.7 लाख से अधिक महिलाएं स्तन कैंसर से प्रभावित होती हैं, और भारत में हर चार मिनट में एक महिला में स्तन कैंसर की पुष्टि होती है। ऐसे में इस दिशा में इनोवेशन अत्यंत आवश्यक हो गया है। शाश्वी रेमेडीज़ की पेटेंटेड तकनीक कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को लक्षित कर उन्हें नष्ट करती है, जबकि स्वस्थ कोशिकाओं को सुरक्षित रखती है—यह मरीज-केंद्रित इलाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है

वर्तमान में वैश्विक फार्मास्यूटिकल उद्योग 2030 के ‘पेटेंट क्लिफ’ की ओर अग्रसर है, जिसमें कई प्रमुख दवाओं के पेटेंट समाप्त होने वाले हैं। ऐसे समय में शाश्वी की यह के  खोज न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित कर रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, दुनिया की बड़ी फार्मा कंपनियाँ अब पेटेंट आधारित कैंसर उपचार समाधानों में भारी निवेश कर रही हैं, और उन्होंने अधिग्रहण और अनुसंधान के लिए $500 बिलियन से अधिक का भंडार तैयार किया है। शाश्वी की पेटेंटेड स्तन कैंसर उपचार तकनीक ऐसे में एक बहुमूल्य संपत्ति बनकर उभरी है। हाल ही में, एक भारतीय फार्मा कंपनी द्वारा अमेरिका स्थित एक अनुसंधान कंपनी का लगभग $355 मिलियन में अधिग्रहण किया गया है, जो इस क्षेत्र में तेजी से बढ़ती रुचि को दर्शाता है।

शाश्वी रेमेडीज़ की संस्थापक, श्रीमती सोनल बंसल ने इस सम्मान को लेकर कहा, “हमें एमएसआईएनएस से यह अनुदान प्राप्त कर अत्यंत गर्व हो रहा है। यह हमारे उस प्रयास की मान्यता है, जिसमें हमने वैज्ञानिक इनोवेशन को व्यवहारिक समाधान में बदला है। हमारी नई स्तन कैंसर उपचार तकनीक उपचार को अधिक सुलभ और कम भयावह बनाकर एक नई दिशा प्रदान कर रही है। भारत जब वैश्विक स्वास्थ्य सेवाओं में अग्रणी बनने की ओर अग्रसर है, ऐसे में शाश्वी रेमेडीज़ इनोवेशन को प्रभाव में बदलने के मिशन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।”

यह उपलब्धि यह दर्शाती है कि इनोवेशन कैसे स्वास्थ्य व्यवस्था को अधिक समावेशी और प्रभावी बना सकता है। शाश्वी रेमेडीज़, वैज्ञानिक अनुसंधान को व्यवहारिक लाभ में परिवर्तित करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

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