झारखंड सरकार ने शराब कारोबार को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया है, जिससे राज्य की आर्थिक नीति और शराब बाजार दोनों में व्यापक बदलाव आने की संभावना है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में “झारखंड उत्पाद (मदिरा की खुदरा बिक्री के लिए दुकानों की बंदोबस्ती एवं संचालन) नियमावली 2025” को मंजूरी दी गई।
खुदरा बिक्री अब निजी हाथों में
नई नीति के तहत अब राज्य में शराब की खुदरा बिक्री निजी क्षेत्र के माध्यम से की जाएगी, जबकि थोक बिक्री का जिम्मा झारखंड बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के पास रहेगा। लॉटरी सिस्टम के जरिए दुकानों का आवंटन होगा और कोई भी व्यक्ति अधिकतम 36 दुकानों का संचालन कर सकेगा।
आयातित शराब सस्ती, देसी शराब पर फोकस
सरकार ने विदेशी शराब पर वैट दरों में बड़ी कटौती का प्रस्ताव रखा है, जिससे इसकी कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट आने की संभावना है। इससे राज्य में आयातित शराब की बिक्री में करीब 250% तक की वृद्धि का अनुमान है। वहीं बीयर की कीमतों में लगभग ₹10 तक की मामूली बढ़ोतरी हो सकती है।
राज्य सरकार ने देसी शराब को बढ़ावा देने के लिए उत्पाद शुल्क में भी कटौती की है। इसके चलते देसी शराब अब अवैध रूप से बिकने वाली महुआ या चुलाई शराब के बराबर सस्ती हो जाएगी। इससे राज्य को राजस्व के साथ-साथ शराब की अवैध बिक्री पर भी नियंत्रण मिलने की उम्मीद है।
सख्त निगरानी और नई व्यवस्था
मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग के सचिव मनोज कुमार ने बताया कि वर्तमान में राज्य में 1453 शराब दुकानें संचालित हो रही हैं। नई नीति लागू होने के बाद एमआरपी से अधिक वसूली करने वाली दुकानों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस नई नीति को लागू करने में करीब एक महीने का समय लगेगा।
सरकार को उम्मीद है कि इन बदलावों से न केवल शराब बिक्री में भारी इजाफा होगा, बल्कि राजस्व में भी अच्छी-खासी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। देसी शराब की बिक्री में 500% तक की संभावित वृद्धि का अनुमान जताया गया है।