विश्व जल दिवस के मौके पर संकट मोचन फाउंडेशन ने ‘रन फॉर क्लीन गंगा’ मैराथन का आयोजन किया। यह मैराथन भैसासुर घाट से शुरू होकर तुलसी घाट तक 6 किलोमीटर सड़क मार्ग पर चली। इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया।

इस आयोजन का मकसद गंगा नदी को प्रदूषण से मुक्त करना और लोगों में जागरूकता फैलाना था।

संकट मोचन फाउंडेशन के महंत और आयोजक विशंभर नाथ मिश्र ने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि यह पहली बार है जब विश्व जल दिवस पर मैराथन का आयोजन किया गया।

उन्होंने कहा, “हर साल हम गंगा तट पर मानव श्रृंखला बनाते थे, लेकिन इस बार हमने मैराथन चुनी, ताकि शहर के हर कोने तक गंगा की सफाई का संदेश पहुंचे। गंगा से हर कोई जुड़ा नहीं है, इसलिए हम इसे सभी तक ले जाना चाहते थे। युवाओं की भागीदारी और भीड़ देखकर लगता है कि हमारा अभियान सफल होगा।”

मैराथन में शामिल तनु शुक्ला ने कहा, “जैसे हम मां अपने बच्चों को साफ रखते हैं, वैसे ही गंगा को भी साफ रखना हमारी जिम्मेदारी है। आज लोग गंगा में हर तरह की गंदगी डाल रहे हैं। हमारा लक्ष्य लोगों को जागरूक करना है कि वे इस काम में हमारा साथ दें। यह संदेश सिर्फ वाराणसी तक नहीं, बल्कि पूरे देश में जाना चाहिए कि माताएं गंगा की सफाई के लिए कितनी सजग हैं।”

वंदना दुबे ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “हम माताएं ‘मदर फॉर क्लीन इंडिया’ और ‘मदर फॉर क्लीन गंगा’ के तहत काम कर रही हैं। इस मैराथन के जरिए हम पूरे वाराणसी और भारत को यह संदेश देना चाहते हैं कि गंगा को साफ करने के लिए हमें एकजुट होना होगा। बच्चे, बूढ़े, युवा—सभी इस आयोजन में शामिल हुए, ताकि सफाई का यह संदेश दूर तक पहुंचे।”

वगीशा दुबे ने मैराथन के उद्देश्य को और स्पष्ट करते हुए कहा, “हमारा मुख्य मकसद गंगा को साफ करना है। इस मैराथन के जरिए हम दिखाना चाहते हैं कि छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बूढ़ों तक, सभी एक साथ मिलकर गंगा की सफाई के लिए काम कर सकते हैं। गंगा में बढ़ती गंदगी को जल्द से जल्द खत्म करना हमारा लक्ष्य है। यह आयोजन लोगों को एकजुट करने का भी एक जरिया है।”

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