केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पटना में विपक्षी दलों की बैठक को हास्यास्पद बताते हुए कहा कि आज कांग्रेस की छत्रछाया में कुछ ऐसे नेता एकत्र होंगे जिन्होंने आपातकाल के समय में लोकतंत्र की हत्या का नजारा स्वयं देखा था।

भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए स्मृति ईरानी ने कांग्रेस की हालत पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस ने सार्वजनिक तौर पर यह घोषित कर दिया है कि कांग्रेस अकेले नरेंद्र मोदी को हराने में नाकाम है और उन्हें सहारे की जरूरत है। उन्होंने अन्य विपक्षी दलों पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि आज वे नेता एकत्र हो रहे हैं जो स्वयं मोदी के सामने विफल हैं।

राहुल गांधी पर सीधा निशाना साधते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि ताकत अब महल से निकलकर जनता के पास आ गई है। इसलिए जो लोग सिर्फ अपनी विरासत पर राजनीतिक घमंड करते हैं, आज उनको चल कर उन लोगों के सामने जाना पड़ता है, जिनको एक दिन आपातकाल के समय उन्होंने जेल की सलाखों के पीछे छोड़ा था। लेकिन गए भी तो कहां गए जो लोग एक पुल नहीं बना सकते हैं वह डेमोक्रेटिक ब्रिज क्या खाक बना पाएंगे?

उन्होंने आम आदमी पार्टी का नाम लिए बिना कहा कि जनता इस बात से सचेत हो रही है कि जो लोग विकास के संकल्प के साथ एकजुट ना हो पाए, वे ब्लैकमेल का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं। जो विकास का संकल्प लेकर एकजुट ना हो पाए, वे आपातकाल की छत्रछाया में एकजुट हो रहे हैं। एक नेता घर से निकलते कह रहा है कि पता नहीं वहां क्या होगा? दूसरा नेता कह रहा है जो होगा देखा जाएगा। तीसरा नेता कह रहा है कि मेरा नहीं देखोगे तो कुछ नहीं देखा जाएगा।

राहुल गांधी के मोहब्बत की दुकान वाले बयान की आलोचना करते हुए स्मृति ईरानी ने सवाल पूछा कि क्या 84 के दंगों के माध्यम से गांधी खानदान ने मोहब्बत का इजहार किया था? क्या यूनिवर्सिटी में जाकर भारत तेरे टुकड़े होंगे का नारा देकर गांधी खानदान ने मोहब्बत का इजहार किया था? क्या देश में आपातकाल लगाकर मीसा के अंतर्गत निर्दोष हिंदुस्तानियों को जेल में डाल कर गांधी खानदान ने मोहब्बत का इजहार किया था? क्या पेड़ गिरना और धरती का कांपना मोहब्बत का इजहार है?

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