भारत की अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच वित्त मंत्रालय के लिए कई अहम कदम उठाने की चुनौती बढ़ गई है। नए साल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने टैक्स प्रणाली को सरल बनाने रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और पूंजीगत खर्च को बढ़ाने जैसी जिम्मेदारियां होंगी।

वित्त मंत्री ने बजट में इनकम टैक्स एक्ट को सरल बनाने के लिए इसकी समीक्षा करने की घोषणा की थी। इस दिशा में सीबीडीटी को करीब 7000 सुझाव प्राप्त हो चुके हैं। उम्मीद है कि इस बदलाव पर चर्चा के लिए रिपोर्ट अगले साल के पहले महीनों में आएगी जिसके बाद संसद में इसे पेश किया जाएगा।

वित्त मंत्री ने FY25 में टैक्स से 25 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था लेकिन सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती पूंजीगत खर्च को बढ़ाना है। अक्टूबर तक केंद्र सरकार का कैपेक्स पिछले साल की तुलना में 14.7% घटकर 4.7 लाख करोड़ रुपये रह गया है। अगर यह खर्च बढ़ाने में मुश्किलें आती हैं तो इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ पर असर पड़ सकता है।

शहरी बेरोजगारी दर 6.4% तक पहुंचने के बाद सरकार ने युवाओं के लिए पीएम इंटर्नशिप स्कीम की घोषणा की थी। इस स्कीम के तहत 10वीं पास और 21-24 साल के युवा देश की टॉप 500 कंपनियों में इंटर्नशिप कर सकते हैं। इसका पायलट 3 अक्टूबर को लॉन्च हुआ था लेकिन इसका औपचारिक लॉन्च नए साल से होने की उम्मीद है।

भारत की जीडीपी ग्रोथ दूसरी तिमाही में 5.4% रह गई जो पिछले सात तिमाहियों में सबसे कम थी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ अनुमान को 7.2% से घटाकर 6.6% कर दिया है। इसे सुधारने के लिए मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र पर फोकस बढ़ाने की जरूरत है ताकि रोजगार और आर्थिक वृद्धि दोनों को बढ़ावा मिल सके।

नए साल में सरकार को टैक्स सिस्टम को सरल बनाने, रोजगार सृजन करने और इंफ्रास्ट्रक्चर खर्च को बढ़ाने के लिए कई अहम कदम उठाने होंगे। इन फैसलों का असर देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में अहम साबित हो सकता है।

 

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