उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास प्राधिकरणों में लंबित भवन मानचित्रों के मामलों की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि बार-बार आपत्तियां लगाने की प्रवृत्ति को समाप्त किया जाए और सभी लंबित प्रकरणों का एकमुश्त निस्तारण सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि इन मामलों को सरल प्रक्रिया के माध्यम से एक ही बार में हल किया जाए, ताकि नागरिकों को अनावश्यक परेशानियों का सामना न करना पड़े।

मुख्यमंत्री  ने यह भी निर्देश दिए कि जिन नगरों में जीआईएस आधारित मास्टर प्लान अब तक अनुमोदित नहीं हुए हैं, उन्हें वर्तमान माह की समाप्ति से पहले मंजूरी दिलाई जाए। उन्होंने कहा कि शहरी नियोजन, आवासीय सुरक्षा, अधोसंरचना विकास और डिजिटल प्रबंधन जैसे सभी घटकों को एकीकृत दृष्टिकोण से लागू करना आवश्यक है।

बैठक में मेट्रो परियोजनाओं की प्रगति पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि कानपुर मेट्रो के मोतीझील से कानपुर सेंट्रल स्टेशन तक 6.7 किमी लंबे अंडरग्राउंड सेक्शन का निर्माण पूर्ण हो गया है। कॉरिडोर 1 और 2 का कार्य इस वर्ष के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। आगरा मेट्रो के पहले कॉरिडोर को दिसंबर 2025 तक और दूसरे कॉरिडोर को 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। लखनऊ मेट्रो परियोजना के अंतर्गत चारबाग से बसंतकुंज तक की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है।

लखनऊ में ₹900 करोड़ की लागत से 32.50 एकड़ भूमि पर विकसित हो रहे इंटरनेशनल एक्जीबिशन-कम-कन्वेंशन सेंटर की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इस विश्वस्तरीय केंद्र को अधिकतम दो वर्षों में पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि यह सेंटर नए लखनऊ की पहचान बनेगा।

मुख्यमंत्री  ने यूपी-एससीआर परियोजना की अद्यतन स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा कि यह परियोजना लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, उन्नाव, रायबरेली और बाराबंकी जिलों को समाहित करती है, जिसका कुल क्षेत्रफल 27,826 वर्ग किमी है। उन्होंने निर्देश दिए कि इसके डीपीआर की प्रक्रिया में अब विलंब न हो।

बैठक में आगामी तीन माह की कार्ययोजना पर भी चर्चा हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश टाउन एंड कंट्री प्लानिंग अधिनियम-2025, लैंड पूलिंग पॉलिसी-2025 और भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 जैसे महत्वपूर्ण नीतियों को लागू करने की प्रक्रिया शामिल है। इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति के अंतर्गत क्रियाशील परियोजनाओं को पूर्ण कराए जाने हेतु संशोधित गाइडलाइन भी शीघ्र जारी की जाएगी।

मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि मुख्यमंत्री शहरी विस्तार/नए शहर प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत अनुमोदित परियोजनाओं को जून 2025 से दिसंबर 2025 तक चरणबद्ध रूप से लॉन्च किया जाएगा। इनमें झांसी, बरेली, अलीगढ़, सहारनपुर, आगरा (ककुआ), कानपुर (न्यू कानपुर सिटी योजना), मथुरा (ट्रांसपोर्ट नगर), मुरादाबाद (डिडौसी), बुलंदशहर, गाजियाबाद, मेरठ और लखनऊ शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने सभी परियोजनाओं की समयबद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जीआईएस आधारित महायोजना संरचना के अंतर्गत प्रदेश के 59 नगरों की महायोजनाएं तैयार की जा रही हैं, जिनमें से 42 को अनुमोदन प्राप्त हो चुका है। शेष चार महायोजनाएं (झांसी, मैनपुरी, फर्रुखाबाद-फतेहगढ़ एवं बहराइच) के अनुमोदन की प्रक्रिया इसी माह में पूरी की जाए।

उन्होंने निजी निवेश को प्रोत्साहित करने हेतु पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल आधारित परियोजनाओं को प्राथमिकता देने, प्रवासी श्रमिकों के लिए विशेष आवासीय योजनाएं संचालित करने और ग्रीन बिल्डिंग प्रमाणीकरण, सोलर रूफटॉप सिस्टम, रेनवॉटर हार्वेस्टिंग एवं अपशिष्ट प्रबंधन को अनिवार्य शहरी मानक के रूप में लागू करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने यूपी आवास एप और रेरा पोर्टल को और अधिक सुगम एवं पारदर्शी बनाए जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

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