यूपी में माफियाओं के ऊपर योगी सरकार आने के बाद से ही नकेल कसी जा रही है। बड़ी संख्या में माफियाओं ने सरेंडर कर दिया है। कइयों को एनकाउंटर में मारा जा चुका है। हाल ही में माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिसके बाद फिर से विकास एनकाउंटर की चर्चाएं होने लगीं। विकास दुबे को साल 2020 में उस समय एनकाउंटर में मार गिराया गया था, जब वह गाड़ी पलट जाने के बाद पुलिस से हथियार छीनकर भागने की कोशिश कर रहा था। अब यूपी एसटीएफ के चीफ अमिताभ यश ने बताया है कि विकास दुबे जब कानपुर पहुंचा था, तब वह बदल गया था।
‘लल्लनटॉप’ से बात करते हुए अमिताभ यश ने विकास दुबे की बॉडी लैंग्वेज का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब विकास दुबे ने सरेंडर किया और कानपुर पुलिस व एसटीएफ को सौंपा गया, तब उसकी बॉडी लैंग्वेज काफी वीक थी। ऐसा लग रहा था कि उससे बड़ा दब्बू कोई और नहीं होगा। लेकिन जैसे-जैसे वह कानपुर पहुंचता गया, उसकी बॉडी लैंग्वेज पूरी तरह से बदलने लगी। जिस गाड़ी में वह दो पुलिसवालों के बीच में बैठा हुआ था, उसने कानपुर पहुंचते ही दोनों को पांव से दबाना शुरू कर दिया। पुलिस वाले विकास दुबे की इस हरकत को चुपचाप सहते रहे, क्योंकि उनके साथ एक आरोपी जा रहा था और उसे हर्ट करना उचित नहीं था।
उन्होंने आगे बताया कि जैसे ही गाड़ी का ऐक्सीडेंट हुआ, वैसे ही उसकी फितरत बदल गई और वह अपने पुराने अंदाज में आ गया। यह एकदम एक्स्ट्रीम तरह का मामला था। यूपी एसटीएफ चीफ ने विकास दुबे और असद के एनकाउंटर पर बताया कि हर एनकाउंटर बहुत ही कठिन लीगल स्क्रूटनी से गुजरता है। एनकाउंटर की जांच होती है। मजिस्ट्रेट जांच की जाती है। एनएचआरसी और स्टेट ह्यूमन राइट कमिशन अपनी जांच करते हैं। वहीं, मीडिया व एनजीओ भी स्क्रूटनी करते हैं। विकास दुबे मामले में भी ज्यूडिशियल जांच की गई है।