उत्तर प्रदेश की ताजनगरी में एक पांचवीं पास फर्जी इंस्पेक्टर पकड़ा गया है। आरोपी आगरा का ही रहने वाला है। उसपर पहले से ही थाना हरीपर्वत में चोरी का मुकदमा दर्ज है। नेशनल हाईवे पर वाहन चेकिंग करते समय चौकी इंचार्ज की पूछताछ में आरोपी ने पहले रौब झाड़ा। बाद में पोल खुलने पर रोने लगा। बहरहाल पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
आगरा स्थित नेशनल हाईवे के अबुल उलाह कट पर एक युवक फर्जी इंस्पेक्टर बनकर वाहनों की चेकिंग कर रहा था। इस दौरान लोगों ने मोबाइल से उसकी फोटो खींची तो उसने चालान करने की धमकी दी। लोगों ने इसकी सूचना न्यू आगरा थाने पर दी। डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि इसकी जांच के चौकी प्रभारी मांगेराम को भेजा गया। मांगेराम ने मौके पर पहुंचकर तीन स्टार लगी वर्दी देखी तो सकते में आ गया। उसने सैल्यूट करने के बाद चेकिंग का कारण पूछा। फर्जी इंस्पेक्टर दरोगा मांगेराम की बातों में आ गया। इसी बीच दरोगा ने असली और नकली का अंदाजा लगा लिया। इसके बाद फर्जी इंस्पेक्टर को पकड़ लिया गया।
डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि आरोपी राजपुर चुंगी निवासी देवेंद्र उर्फ राजू है। वह इंस्पेक्टर की वर्दी पहने हुए था। तीन सितारे भी लगे हुए थे। पुलिस की तरह जूते भी पहने था। वह वाहन चालकों को धमका रहा था। शिकायत मिली थी कि एक इंस्पेक्टर वाहनों से वसूली कर रहा है। मोबाइल से फोटो लेने के बाद चालान की धमकी दे रहा है। इस पर कार्रवाई की गई। चौकी प्रभारी मांगेराम को भेजा गया। पहली बार में चौकी प्रभारी भी उसे इंस्पेक्टर ही समझने लगे। इसलिए सीनियर अधिकारी की तरह बात करने लगे। मगर, कुछ ही देर में देवेंद्र का भेद खुल गया। उसे पकड़ लिया गया।
न्यू आगरा थाना प्रभारी राजीव कुमार ने बताया कि आरोपी देवेंद्र से 2015 रुपये बरामद किए। यह उसने आटो चालकों से वसूली कर लिए थे। मामले में आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी और रंगदारी की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया। उसके खिलाफ पहले से थाना हरीपर्वत में चोरी का मुकदमा दर्ज है। आरोपी ने बताया कि अबुल उलाह कट पर पुलिस कम ही रहती है। इस कट पर आटो और बस खड़ी रहती हैं। इनके चालकों को धमकाकर वसूली कर लेगा। मगर, किसी ने शिकायत कर दी। वो पकड़ा गया।
आरोपी देवेंद्र ने पुलिस पूछताछ में बताया कि वह कक्षा पांच तक पढ़ा है। कोरोना काल से पहले बिजलीघर स्थित एक दुकान से वर्दी खरीदी थी। लॉकडाउन में वो सड़कों पर निकलता था। वर्दी पहने होने की वजह से कोई रोकता नहीं था। बाद में वह वर्दी की मदद से आटो और बस में सफर करने लगा। वर्दी देखकर चालक डर जाते थे। किराया नहीं मांगते थे। खरीदारी करने किसी दुकान में जाता था तो डिसकाउंट भी मिल जाता था। वर्तमान में वह कोई काम नहीं कर रहा था। उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इस कारण सोचा कि वाहन चालकों से वसूली कर लेगा। चालान के डर से वो खुद ब खुद रकम दे देंगे। इससे वह खर्च निकाल लेगा।

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