अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में वक्फ़ विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है तथा संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है। उन्होंने दावा किया कि वक्फ अधिनियम 1995 अपने उद्देश्य की पूर्ति में सफल नहीं रहा, हम कांग्रेस को बताना चाहते हैं कि ये संशोधन उन कार्यों को पूरा करने के लिए लाए जा रहे हैं जो आप नहीं कर सके। संयुक्त संसदीय समिति ने सिफारिश की थी कि वक्फ अधिनियम 1995 का फिर से अध्ययन होना चाहिए, विपक्ष राजनीति के लिए इसका विरोध कर रहा है।

किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि इस विधेयक से किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। किसी के अधिकार छीनने की बात तो भूल ही जाइए, यह विधेयक उन लोगों को अधिकार देने के लिए लाया गया है जिन्हें कभी अधिकार नहीं मिले। उन्होंने कहा कि आज जो विधेयक लाया जा रहा है, वह सच्चर समिति की रिपोर्ट (जिसमें सुधार की बात कही गई थी) पर आधारित है, जिसे आपने (कांग्रेस ने) बनाया था। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वे (विपक्ष) मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि कल रात तक मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल मेरे पास आए…कई सांसदों ने मुझे बताया है कि माफिया ने वक्फ बोर्डों पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा कि कुछ सांसदों ने कहा है कि वे व्यक्तिगत रूप से इस विधेयक का समर्थन करते हैं, लेकिन अपनी राजनीतिक पार्टियों के कारण ऐसा नहीं कह सकते…हमने इस विधेयक पर देश भर में बहुस्तरीय विचार-विमर्श किया है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक का नाम अब रखा गया है – ‘संयुक्त वक्फ अधिनियम प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम’, 1995- ‘उम्मीद’….”

रीजीजू ने लोकसभा में कहा कि विपक्ष वक्फ संशोधन विधेयक की मंशा के बारे में भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहा है, कोई कानून संविधान से ऊपर नहीं हो सकता लेकिन 1995 के वक्फ कानून में ऐसे कुछ प्रावधान हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक गहन परामर्श के बाद लाया गया। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि वक्फ बोर्ड पर माफिया का कब्जा है और यह किसी भी धार्मिक निकाय की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं करता है।

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