सुप्रीम कोर्ट राज्यों में लोकायुक्त नियुक्ति में चयन समिति की परामर्श प्रक्रिया को लेकर कोई गाइडलाइन जारी कर सकता है। मध्य प्रदेश में लोकायुक्त नियुक्ति से संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान शुक्रवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने यह मंशा जाहिर की। मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और लोकायुक्त चयन समिति के सदस्य उमंग सिंगार ने हाल ही की गई लोकायुुक्त की नियुक्ति को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।

सीजेआइ चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि कानून के अनुसार राज्यपाल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तथा विपक्ष के नेता से परामर्श कर लोकायुक्त की नियुक्ति करते हैं लेकिन ताजा नियुक्ति में राज्यपाल द्वारा परामर्श प्रक्रिया में नेता प्रतिपक्ष को शामिल नहीं किया गया। राज्यपाल और चीफ जस्टिस ने तीन नामों में से एक का चयन कर औपचारिकता के रूप में वह नाम नेता प्रतिपक्ष को भेज दिया।

याचिकाकर्ता की राय लेने से पहले ही नाम तय कर लिया गया। इस पर सीजेआइ ने कहा कि विपक्ष के नेता चयन समिति के सदस्य हैं तो उन्हें नामों पर चर्चा का अवसर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकायुक्त चयन में परामर्श प्रक्रिया देशव्यापी प्रभाव वाला मामला है। इसलिए परामर्श प्रक्रिया के तौर-तरीके तय करना उचित होगा। कोर्ट ने इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इंटरमीडियरीज और डिजिटल मीडिया के लिए आचार संहिता संबंधी आईटी नियम, 2021 को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को सुनवाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने का आदेश दिया। ज?स्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने यह आदेश देते हुए कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न मामलों में हाईकोर्टों से मिली राहत को भी दिल्ली हाईकोर्ट में ही चुनौती दे सकती है। उल्लेखनीय है कि आइटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाएं देश के विभिन्न हाईकोर्टों में लंबित हैं।

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