पश्चिम बंगाल की राजनीति में अब लोककल्याणकारी योजनाएं भी अहम भूमिका निभा रही हैं। चाहे तृणमूल कांग्रेस हो या भाजपा लोककल्याणकारी योजनाओं और महिलाओं के पक्ष में खड़े होने को मुद्दा बना रही है। हाल के कुछ चुनावों में इनसे सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल को मदद भी मिली है। लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस राज्य में लगभग 2.13 करोड़ लक्ष्मी भंडार लाभार्थियों तक सीधे सम्पर्क साध रही है। योजना के तहत इस महीने से सामान्य वर्ग की महिलाओं को अब दोगुना भत्ता मिलेगा। पार्टी महिलाओं को बता रही है कि तृणमूल प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहल से ही भत्ते में इजाफा हुआ है। चुनावी रणनीति के तहत हर इलाके में लक्ष्मी भंडार समेत अन्य योजनाओं से तहत मिलने वाली सहायता राशि का उल्लेख किया जा रहा है, व्यापक रूप से इसका प्रचार किया जा रहा है।
तृणमूल नेता और कार्यकर्ता विशेषकर घर-घर दस्तक देकर महिलाओं को योजना के लाभ के बारे में बता रहे हैं। दावा कर रहे हैं कि पार्टी लोगों के हित में इस तरह की योजनाएं जारी रखेंगी। TMC लोगों के बीच यह दर्शाना चाहती है कि एक तरफ ममता बनर्जी राज्य की महिलाओं के भत्ते बढ़ा रही हैं, तो दूसरी तरफ केंद्र में मोदी सरकार बंगाल के लोगों के उचित लाभों को रोक रही है। पार्टी का दावा है कि लक्ष्मी भंडार योजना महिलाओं के लिए वरदान साबित हो सकती है।
तृणमूल कांग्रेस महिलाओं को संदेश देना चाहती है कि लक्ष्मी भंडार योजना के तहत भत्ते में बढ़ोतरी बांग्ला नववर्ष (15 अप्रैल) पर ममता दीदी की ओर से एक गिफ्ट है। महिलाओं के एक समूह के साथ खड़ी ममता बनर्जी की तस्वीर वाले नीले रंग के पोस्टर पर दोनों तरफ बांग्ला में संदेश है। इसमें लिखा है कि यह आपके लिए नए साल का गिफ्ट है, दीदी ने लक्ष्मी भंडार की राशि बढ़ा दी है। अब सामान्य श्रेणी की महिलाओं के लिए भत्ता 500 रुपए से बढ़ाकर 1,000 रुपए और अनुसूचित जाति के लिए 1,000 रुपए से बढ़ाकर 1,200 रुपए कर दिया गया है। बढ़ी हुई रकम लाभार्थियों के बैंक खातों में मिलनी शुरू हो गई है। पहले चरण में पार्टी जलपाईगुड़ी, कूचबिहार और दार्जिलिंग में महिलाओं से पार्टी जुड़ रही है। तृणमूल कांग्रेस को लगता है कि लक्ष्मी भंडार योजना संदेशखाली का तोड़ साबित हो सकती है। राज्य की मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने इस अभियान की कमान संभाली है।
पश्चिम बंगाल में करीब 7.59 करोड़ मतदाताओं में से 49.19 फीसदी महिलाएं हैं। भाजपा ने इस बार चुनाव में संदेशखाली में महिलाओं पर कथित अत्याचार को मुख्य मुद्दे के रूप में इस्तेमाल करने का फैसला किया है।