केरल के कोल्लम जिले में सात वर्षीय बच्ची की सोमवार तड़के एक सरकारी अस्पताल में रेबीज के संक्रमण से मौत हो गई, जबकि समय पर उसे टीका लगाया गया था। परिवार के सदस्यों ने यह जानकारी दी। निया कोल्लम जिले के कुन्‍निकोड की रहने वाली थी और उसे कुछ दिन पहले श्री अवित्तम तिरुनाल (एसएटी) अस्पताल में जीवनरक्षक प्रणाली (वेंटिलेटर) पर रखा गया था। उसके रेबीज संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। इस घटना से कुछ दिन पहले ही केरल के मलप्पुरम जिले में छह वर्षीय एक बच्ची की भी रेबीज से मौत हो गई थी, जबकि उसे भी समय पर टीका लगाया गया था।

निया की मां पत्रकारों से कहा, ‘‘हमारे घर के पास कूड़े का ढेर लगा रहता है। हमने कई बार लोगों से वहां कूड़ा न फेंकने की अपील की, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। उसी कूड़े की वजह से आवारा कुत्ते वहां इकट्ठा होते थे और एक दिन उन्होंने मेरे सामने ही मेरी बेटी पर हमला कर दिया।” परिवार और चिकित्सकों ने शुक्रवार को पुष्टि की कि बच्ची को रेबीज रोधी टीके निर्धारित अंतराल में दिए गए थे, इसके बावजूद वह वायरस के संक्रमण से नहीं बच सकी।

निया की मां के अनुसार, आठ अप्रैल को निया घर के पास खड़ी थी। इसी दौरान एक आवारा कुत्ते ने बच्ची को कोहनी पर काट लिया था। इसके बाद परिजनों ने तत्काल उसके जख्म को धोया और उसे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले गए, जहां उसे रेबीज रोधी टीका लगाया गया। बाद में, उसे पुनालूर तालुक अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे अतिरिक्त दवाएं और टीके दिए गए। लेकिन कुछ दिन पहले बच्ची को काटे गए स्थान पर तेज दर्द और बुखार होने लगा, जिसके बाद उसे फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया। एसएटी अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि अगर कुत्ता सीधे किसी नस पर काट ले, तो वायरस सीधे मस्तिष्क तक पहुंच सकता है। ऐसे मामलों में यह कहना मुश्किल होता है कि टीका कितना प्रभावी रहेगा। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने कहा कि केरल के सरकारी अस्पतालों में टीके गुणवत्ता जांच के बाद ही लगाए जाते हैं। 

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