वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी। यह फैसला जस्टिर जेजे मुनीर की सिंगल बेंच ने सुनाया है।
बता दें कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पूजा करने के अधिकार की मांग करते हुए वाराणसी कोर्ट में राखी सिंह समेत पांच हिंदू महिला उपासकों एक याचिका दायर की थी। इस याचिका को चुनौती देते हुए मुस्लिम पक्ष ने एक याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल की थी।
मुस्लिम पक्ष की और से दाखिल अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जेजे मुनीर की सिंगल बेंच ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद 23 दिसंबर 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज यानी 31 मई को जस्टिस जेजे मुनीर की सिंगल बेंच ने अपना फैसला सुना दिया।
जस्टिस जेजे मुनीर की सिंह बेंच ने फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दिया है। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने वाराणसी जिला जज के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था, इसी मामले में आज फैसला सुनाया गया।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि कोर्ट ने साफ कहा है कि अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की अनुरक्षणीय नहीं है और इसे खारिज किया है।
वहीं, वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि यह हिंदू पक्ष की बड़ी जीत है। हम अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति द्वारा दायर आदेश 7 नियम सीपीसी याचिका को खारिज करने के अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर पूजा करने के अधिकार की मांग करने वाली पांच हिंदू महिला उपासकों के मुकदमे की स्थिरता को चुनौती दी गई थी।