ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों का सम्मेलन आज (सोमवार) से रूस के निजनी नोवगोरोड में शुरू हो रहा है। भारत ‘विश्व बंधु‘ (ग्लोबल फ्रेंड) के रूप में अपने रोल को जारी रखते हुए बैठक में ग्लोबल साउथ के सामने विकास संबंधी चिंताओं और दुनिया के सामने आ रही चुनौतियों को उठा सकता है।
नई दिल्ली में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के गठन के तुरंत बाद होने वाली यह ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की पहली बैठक भी होगी। दरअसल, जनवरी में समूह के विस्तार को औपचारिक रूप दिया गया था।
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में भारत के विदेश मंत्री, दक्षिण अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय संबंध और सहयोग मंत्री नादिया पंडोर, ब्राजील के विदेश मंत्री माउरो विएरा, चीनी विदेश मंत्री वांग यी के अलावा ग्लोबल साउथ और ईस्ट से आमंत्रित देशों के विदेश मंत्री हिस्सा लेंगे।
सोमवार की बैठक पारंपरिक रूप से केवल विदेश मंत्रियों की बैठक होगी। इसमें ब्रिक्स के सदस्य देशों के सभी विदेश मंत्रियों के मौजूद रहने की उम्मीद है।
मंगलवार को एक विस्तारित बैठक होगी, जिसमें रूस द्वारा आमंत्रित 15 देश हिस्सा लेंगे। बैठकों में मौजूदा भू-राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा और विकासशील देशों की भूमिका बढ़ाने पर जोर देते हुए ग्लोबल गवर्नेंस सिस्टम में सुधार लाने पर बातचीत होगी।
विदेश मंत्रियों की बैठक में जो भी परिणाम आएगा, उसे अक्टूबर में कज़ान में होने वाले 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल किया जाएगा। दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान कई द्विपक्षीय बैठकें भी आयोजित होने की संभावना है।
गुटों में बंटी हुई इस दुनिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की बढ़ती इमेज और ‘विश्व बंधु‘ (ग्लोबल फ्रेंड) के रूप में इसके उदय को उजगार करते रहे हैं।
लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद अपनी पहली टिप्पणी में प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को कहा था, त्त्ग्लोबल मंच पर भारत की साख बढ़ाने के लिए पिछले 10 वर्षो में की गई कड़ी मेहनत का लाभ उठाने का समय आ गया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात के बाद राष्ट्रपति भवन के बाहर उन्होंने कहा, पिछले 10 वर्ष में एक अलग ग्लोबल इमेज बनी है।