राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा-2 में यूपी का दम नजर आएगा। 80 लोकसभा वाले इस प्रदेश में राहुल की 20 से 25 दिन यात्रा निकालने की प्लानिंग है। सिर्फ यही नहीं, प्रियंका के अलावा उनके साथ विपक्ष के बड़े चेहरे अखिलेश यादव, जयंत चौधरी और तेजस्वी यादव भी नजर आ सकते हैं। दरअसल, राहुल 15 अगस्त से भारत जोड़ो यात्रा का पार्ट-2 निकालने की तैयारी कर रहे हैं। इसकी शुरुआत गुजरात के पोरबंदर से होगी। समापन नार्थ ईस्ट में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में होगा।
अब 2024 के लोकसभा में राहुल और अखिलेश की जोड़ी फिर नजर आ सकती है। पीडीए की बेंगुलुरु में हुई बैठक में भी दोनों के बीच अच्छी बॉडिंग नजर आई थी। सियासी जानकारों का कहना है कि राहुल की पिछली भारत जोड़ो यात्रा के लिए भी जयंत और अखिलेश को निमंत्रण गया था। हालांकि, दोनों नेता शामिल नहीं हुए थे। लेकिन, अब पीडीए गठबंधन बनने के बाद तस्वीर बदल चुकी है। ऐसे में अखिलेश के साथ ही जयंत और तेजस्वी का शामिल होना भी लगभग तय है।
भारत जोड़ो पार्ट-2 का स्वरूप भी पिछली बार से बदला हुआ दिखेगा। पैदल यात्रा से ज्यादा फोकस इस बार अलग-अलग ग्रुप के लोगों से मिलने पर रहेगा। कांग्रेस पूरे प्रदेश में कई अभियान चला रही है, जैसे जाति जनगणना, संविधान बचाओ, अल्पसंख्यकों के लिए भी अलग-अलग जिलों में पहले से ही कई कार्यक्रम हो रहे हैं। ऐसे में राहुल-प्रियंका इन लोगों से मिलेंगे। इसका सीधा फायदा होगा कि पीपल कनेक्टिविटी बढ़ेगी।
पार्टी पश्चिमी यूपी पर ज्यादा फोकस कर रही है। सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, देवबंद, बागपत, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, बदायूं, अलीगढ़ के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया, महाराजगंज, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़ कुशीनगर जैसे जिलों से यात्रा गुजर सकती है। सूत्रों की माने तो विपक्षी दलों के कई बड़े मुस्लिम नेता कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं। चुनाव के नजदीक वो सभी पंजे को थाम सकते हैं।
भारत जोड़ो यात्रा पार्ट-2 का रूट सियासी नफा-नुकसान तय करते हुए अपने आखिरी दौर में है। कांग्रेस यूपी में अपने एलायंस के साथियों से भी यात्रा के रूट को लेकर विचार विमर्श कर रही है। चूंकि बेंगलुरु की बैठक में साथ तो नजर आए। मगर सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर अभी भी कोई बात नहीं हो पाई है।
इसलिए दल तो मिल गए हैं, मगर दिल मिलना अभी भी बाकी है। सभी दल मुंबई में होने वाली INDIA की बैठक के बाद निर्णय लेंगे। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का मानना है कि जहां उनका संगठन मजबूत है वहां यात्रा को ज्यादा वक्त दिया जाएगा।