दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने मंगलवार को कहा कि कई अस्पतालों में डॉक्टरों और विशेषज्ञों की लगभग 30 प्रतिशत कमी है और उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद इन महत्वपूर्ण रिक्तियों को भरने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है। भारद्वाज ने कहा कि इन पदों पर नियुक्ति में देरी के लिए उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा मुख्यमंत्री की अनुपलब्धता और राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) की बैठक न होने जैसे बहाने बताए जा रहे हैं।

उन्होंने प्रेसवार्ता के दौरान यह बात कही, जहां उन्होंने डेंगू के प्रसार से निपटने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर भी चर्चा की। मंत्री पर पलटवार करते हुए उपराज्यपाल सचिवालय ने आरोप लगाया कि भारद्वाज अपने प्रभार वाले विभागों को संभालने में ‘‘बुरी तरह विफल’’ रहे हैं। इसने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि अब उन्हें बिना किसी आधार के प्रतिदिन उपराज्यपाल को अपशब्द कहकर अपना मंत्री पद बचाए रखने का नया मौका मिल गया है।’’ मंत्री ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में डेंगू के प्रसार से निपटने के लिए कई उपाय करने के निर्देश दिए हैं।

मंत्री ने कहा, ‘‘हमने लोगों को डेंगू की रोकथाम के बारे में जानकारी देने के लिए सभी मेट्रो स्टेशन, बस अड्डे और अन्य सार्वजनिक परिवहन केंद्रों पर जागरूकता घोषणाएं करने के लिए कहा है।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि शहर के सभी सरकारी अस्पताल डेंगू के मामलों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हों। भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने स्वास्थ्य सचिव को कई कदम उठाने के निर्देश दिए हैं, लेकिन वह इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं कि उन कदमों को लागू किया गया है। मंत्री ने कहा, ‘‘मैंने स्वास्थ्य सचिव को हर दिन एक सरकारी अस्पताल का दौरा करने का निर्देश दिया है, ताकि यह जांचा जा सके कि डेंगू से संबंधित सभी आवश्यक उपकरण उपलब्ध हैं या नहीं।

हालांकि, मुझे पता नहीं है कि ये दौरे शुरू हुए हैं या नहीं। अगर ये (दौरे शुरू) नहीं हुए हैं, तो मैं व्यक्तिगत रूप से अस्पतालों का दौरा करूंगा और अनुपालन सुनिश्चित करूंगा।’’ भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को स्वास्थ्य सचिव और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जहां ‘‘मैंने बताया कि मेरे पिछले निर्देशों का अभी तक क्रियान्वयन नहीं किया गया है।’’ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि जब भी दिल्ली में कोई बड़ा संकट होता है, तो दस्तावेजों से पता चलता है कि इसके पीछे उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना का हाथ होता है। आशा किरण आश्रय गृह मामले पर प्रकाश डालते हुए, जहां जुलाई में 13 बंदियों की मौत हो गई थी, मंत्री ने कहा कि जांच से पता चला है कि डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों की कमी थी। भारद्वाज ने कहा, ‘‘नियुक्तियों की जिम्मेदारी उपराज्यपाल के पास है। मंत्री बनने के बाद से, मैंने 30 प्रतिशत रिक्तियों के बारे में उपराज्यपाल को दर्जनों पत्र लिखे हैं।

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