देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने त्याग और करुणा के प्रतीक ईसा मसीह के पुनरुत्थान दिवस की सबको शुभकामनाएं दी हैं। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि ईसा मसीह की शिक्षाएं मानवता को प्रेम और त्याग के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर अपने पोस्ट में शुभकामनाएं देते हुए लिखा, “सभी को ईस्टर की बधाई! इस अवसर पर हम ईसा मसीह के पुनरुत्थान का जश्न मनाते हैं। यह त्योहार नई उम्मीद और नई शुरुआत की भावना को प्रेरित करता है। ईसा मसीह की शिक्षाएं मानवता को प्रेम और त्याग के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। आशा और आनंद का यह त्योहार सभी के लिए शांति और समृद्धि लाए।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “सभी को ईस्टर की हार्दिक शुभकामनाएं। यह ईस्टर इसलिए खास है क्योंकि दुनिया ईसा मसीह के जुबली वर्ष को बड़े उत्साह के साथ मना रही है। कामना है कि ये पवित्र अवसर हर व्यक्ति में आशा, नवीनीकरण और करुणा की भावना जगाए रखे। चारों ओर खुशियां और सद्भावना हो।”

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर लिखा, “ईस्टर के इस खुशी भरे अवसर पर हमारी हार्दिक शुभकामनाएं, जो एक बेहतर कल के लिए आशा के नवीनीकरण का प्रतीक है। यीशु मसीह के पुनरुत्थान का शाश्वत महत्व यह है कि करुणा घृणा से अधिक शक्तिशाली है और सत्य बुराई पर विजय प्राप्त करता है। जैसा कि हम ईस्टर संडे मनाते हैं, आनंद, शांति, सौहार्द और सद्भाव हमारे आगे के मार्ग को रोशन करें।”

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा, “आपको और आपके प्रियजनों को ईस्टर की हार्दिक शुभकामनाएं। यह खुशी का अवसर सभी के लिए नई शुरुआत, नई उम्मीद और स्थायी खुशी लेकर आए।”

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक्स पर लिखा, “ईस्टर पर्व की सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। आइए इस पर्व के अवसर पर प्रभु यीशु की करुणा, मानवता तथा त्याग की शिक्षाएं आत्मसात कर उनसे सेवा तथा सद्भाव के मार्ग पर चलने की प्रेरणा लें।”

बता दें कि ईस्टर ईसाई धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो यीशु मसीह के पुनरुत्थान का उत्सव मनाता है। यह माना जाता है कि यीशु को सूली पर चढ़ाए जाने के तीसरे दिन वे जीवित हो वापस लौटे थे। ये ईसाई विश्वास का केंद्रीय आधार है। ईस्टर वसंत ऋतु में, चंद्र कैलेंडर के आधार पर, गुड फ्राइडे के बाद आने वाले रविवार को मनाया जाता है, इसकी तिथि हर साल बदलती है। यह पर्व आध्यात्मिक नवीकरण, आशा और नई शुरुआत का प्रतीक है।

ईस्टर से पहले का समय, जिसे लेंट कहते हैं, 40 दिनों का उपवास और प्रायश्चित का काल होता है। ईस्टर के दिन चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं, भजन और उत्सव आयोजित होते हैं। परंपराओं में ईस्टर अंडे सजाना और छिपाना शामिल है, जो नई जिंदगी का प्रतीक हैं।

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