यहां की एक विशेष अदालत में मंगलवार को दाखिल की गई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की पहली चार्जशीट के अनुसार, कथित राशन वितरण घोटाला मामले के कारण पश्चिम बंगाल सरकार के खजाने को लगभग 400 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है।

सूत्रों ने कहा कि हालांकि यह सिर्फ प्रारंभिक अनुमान है, यह आंकड़ा और बढ़ सकता है क्योंकि जांच अधिकारी जांच के दौरान गहराई में जाएंगे और फंड डायवर्जन के विभिन्न तरीकों से संबंधित अधिक सुराग प्राप्त करेंगे।

सूत्रों ने यह भी बताया कि 400 करोड़ रुपये का यह प्रारंभिक अनुमान केवल राज्य के खजाने में हुए नुकसान से संबंधित है, न कि कथित घोटाले के पूरे वित्तीय आकार से। घोटाले में शामिल लोगों द्वारा खाद्यान्‍न बेचकर भारी पैसा कमाया गया है। कमाई सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए उत्पाद खुले बाजार में प्रीमियम दर पर या रियल एस्टेट और होटल जैसे अन्य क्षेत्रों में घोटाले की आय का निवेश करके भी की गई।

सूत्रों ने बताया कि आरोपपत्र में राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग से जुड़े एक नौकरशाह का बयान शामिल किया गया है। ईडी के अधिकारियों ने नौकरशाह को गवाह के रूप में संदर्भित किया है। आरोपपत्र में ईडी ने पश्चिम बंगाल के वन मंत्री और पूर्व राज्य खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक और कोलकाता स्थित व्यवसायी बकीबुर रहमान को घोटाले के प्रमुख मास्टरमाइंड के रूप में पहचाना है।

ईडी ने यह भी उल्लेख किया है कि पीडीएस डीलरों, चावल-मिल मालिकों का एक वर्ग भी पूरे लॉन्ड्रिंग सिस्टम में पक्षकार थे।

केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को राज्य के खाद्य और आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के एक वर्ग की संलिप्तता के बारे में भी जानकारी मिली है, यह देखते हुए कि रहमान के कब्जे से बड़ी संख्या में विभाग की आधिकारिक मुहरें जब्त की गई थीं।

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