रामपुर तिराहा कांड के सरकार बनाम मिलाप सिंह केस को लेकर कोर्ट में बहस जारी है। पत्रावली में से मूल दस्तावेज गायब होने के बाद फोटोस्टेट पर ही सुनवाई करने की सीबीआई की याचिका पर कोर्ट कल फैसला सुनाएगा। हालांकि आरोपियों की ओर से इस मामले में लिखित आपत्ति दाखिल की गई थी।

29 साल पहले अलग राज्य की मांग को लेकर उत्तराखंड में आंदोलन शुरू हो गया था। 1-2 अक्टूबर 1994 की रात को दिल्ली जाते हजारों आंदोलनकारियों को मुजफ्फरनगर मैं रामपुर तिराहा पर रोक लिया गया था। जहां पुलिस और आंदोलनकारियो के बीच तीखी झड़प हुई थी। जिसके बाद हुई फायरिंग में 7 आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी।

थाना छपार पुलिस ने इसमें अलग-अलग चार मुकदमे दर्ज किए थे। मामले की जांच सीबीआई ने की थी। सीबीआई की विवेचना में कई आंदोलनकारी महिलाओं के साथ रेप की बात भी सामने आई थी। जबकि आंदोलनकारियों की हत्या के मामले में कई पुलिस कर्मियों को आरोपी बनाया गया था। जिसके उपरांत चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी गई थी।

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता परविंदर सिंह ने बताया कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-7 शक्ति सिंह मामले की सुनवाई कर रहे हैं। बताया कि सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक धारा सिंह मीणा ने कोर्ट को बताया था कि पत्रावली से मुकदमे संबंधी मूल दस्तावेज गायब हो गए हैं।

मांग की थी कि फोटो स्टेट पर ही कोर्ट सुनवाई करें। आरोपियों के अधिवक्ताओं ने उस पर लिखित आपत्ति दाखिल की थी। जिस पर कोर्ट में बहस पूरी हो गई है। उन्होंने बताया कि दस्तावेजों के फोटो स्टेट पर सुनवाई को लेकर कोर्ट शुक्रवार यानी 11 अगस्त को फैसला सुनाएगी।

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