राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी विभागों में नए कार्यों पर रोक लगा दी है। विभाग अपने स्तर पर नए टेंडर जारी नहीं कर सकेंगे और जिन कार्यों की निविदा जारी हो चुकी है लेकिन कार्यादेश नहीं दिया गया, ऐसे काम भी शुरू नहीं होंगे। वहीं, जिन मामलों में कार्यादेश जारी करने के बाद काम शुरू नहीं हुआ है, उनमें भी यह आदेश प्रभावी होगा। जिन कार्यों के लिए प्रशासनिक स्वीकृतियां जारी हो चुकी हैं, उनकी भी मुख्यमंत्री या मंत्री स्तर पर समीक्षा होगी और उसके बाद आवश्यक होने पर ही प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की शपथ के आठवें दिन शुक्रवार को वित्त विभाग ने यह आदेश जारी किया। इसे आर्थिक प्रबंधन और पिछली सरकार के कार्यों की समीक्षा के लिहाज से बड़ा कदम माना जा रहा है। इस आदेश से प्रदेश में कई बड़े प्रोजेक्ट अटक गए हैं। आवश्यक कार्य मुख्यमंत्री या मंत्री स्तर पर अनुमति के बाद कराए जा सकेंगे।
पूर्व में जारी प्रशासनिक, वित्तीय स्वीकृति की स्थिति में भी यह आदेश प्रभावी होगा। ऐसी सभी स्वीकृतियां विभाग के मंत्री और मुख्यमंत्री के संज्ञान में लानी होंगी। इनके स्तर पर तय होगा कि कौनसे कार्यों को आगे बढ़ाना है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में कई लोकलुभावनी योजना शुरू की गईं। बिजली-पानी के बिलों पर सब्सिडी भी बढ़ाई गई। विषय विशेषज्ञों के मुताबिक इससे भी प्रदेश पर ज्यादा आर्थिक बोझ पड़ा है। ऐसी स्थिति में मौजूदा सरकार के लिए आर्थिक संतुलन बैठाना किसी चुनौती से कम नहीं है।
राजस्थान पर वर्ष 2022-23 में अनुमानित कर्ज 5,16,815 करोड़ रुपए था, जिसके इस वर्ष के अंत तक 5,79,781 करोड़ रुपए हो जाने का अनुमान है। इस वर्ष में ही राजस्थान 26,008 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुका है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 18 दिसम्बर को वरिष्ठ अधिकारियों की मीटिंग में भी इस तरह के संकेत दे दिए थे। इसके दो दिन बाद वित्त विभाग के आला अफसरों से भी बातचीत हुई थी। सरकार शुरुआती चरण में खर्च में कटौती कर पैसा बचाएगी और फिजूल खर्चों को बंद करेगी।