उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के स्कूलों में डिजिटल उपस्थिति के कार्यान्वयन को अगले दो महीनों के लिए स्थगित कर दिया है। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की शिक्षक संघ के साथ बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार, इस मुद्दे के समाधान के लिए एक समिति बनाई जाएगी और समिति की समीक्षा के बाद ही आगे कोई भी निर्णय लिया जाएगा। 15 जुलाई को सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी डीएम को शिक्षक संघों और बेसिक शिक्षा अधिकारी से ज्ञापन लेकर शासन को भेजने का आदेश दिया था। ताकि, उनकी समस्याओं का समाधान किया जा सके।

8 जुलाई को, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने डिजिटल उपस्थिति को अनिवार्य कर दिया। शिक्षकों को 11 जुलाई से अपनी उपस्थिति डिजिटल रूप से दर्ज करने के लिए कहा गया था। इस आदेश के जवाब में, उत्तर प्रदेश में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों ने सरकार के निर्देश को अव्यवहारिक बताते हुए विरोध किया। उन्होंने बताया कि यात्रा दूरी सहित बुनियादी सुविधाओं की कमी और सरकारी परिवहन सुविधाओं की कमी के कारण वे अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए हर दिन समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं।

इसके अलावा स्कूलों की व्यवस्था भी बहुत अच्छी नहीं है, स्कूल में कोई सफाईकर्मी नहीं है, जिसके कारण शिक्षक को खुद ही स्कूल की सफाई करनी पड़ती है, स्कूल में पूरे दिन बिजली भी नहीं रहती है। नेटवर्क की भी दिक्कत है, ऐसे में डिजिटल अटेंडेंस कैसे होगी? गौरतलब है कि नए आदेश लागू होने के पहले दिन 8 जुलाई को केवल दो फीसदी शिक्षकों ने ही अपनी डिजिटल उपस्थिति दर्ज कराई थी।

एक अन्य आदेश में योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि मीटर चेकिंग या बकाया वसूली के नाम पर आम उपभोक्ता को परेशान न किया जाए। उन्होंने बिजली ‘बिलिंग’ और संग्रह क्षमता बढ़ाने के लिए मिलकर ठोस प्रयास करने को भी कहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को ऊर्जा मंत्री एके शर्मा और विभागीय अधिकारियों के साथ उत्तर प्रदेश में बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण की वर्तमान स्थिति की समीक्षा करते हुए यह बात कही।

 

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