प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हमारी कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है। आज लंबे समय से आई आपत्ति का अंत हो गया है। प्रभु राम को लेकर न्याय की लंबी लड़ाई चली। न्यायपालिका ने न्याय की लाज रख ली है, अब कालचक्र फिर से बदलेगा। ‘आज ये अवसर हमारे विजय का ही नहीं, विनय का भी है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण न्याय के मार्ग से बना है और इसके इसके लिए न्यायपालिका का अभार है कि उसने न्याय की मर्यादा की रक्षा की है। जन्म स्थान पर नवनिर्मित भव्य मंदिर के अंत:पूरम में पांच वर्षीय रामलला के नए विग्रह प्राण प्रतिष्ठा पर्व में भाग लेने के बाद वहां आमंत्रित भारत की करीब 150 संत परंपराओं के धर्माचार्यों, साधुओं और विद्वानों तथा विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्यों को संबोधित कर रहे थे। श्री राम भारत के संविधान के प्रथम पृष्ठ पर विद्यमान हैं पर आजादी के वर्षों बाद तक उनके अस्तित्व को लेकर सवाल उठाए गए।

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प्रधानमंत्री ने श्री राम को भारत का विधान और नीति बताया। उन्होंने राम मंदिर के निर्माण के लिए कानूनी लड़ाई की ओर इंगित करते हुए कहा कि धन्य है कि भारत की न्यायपालिका का कि उसने न्याय की मान मर्यादा की रक्षा की। सदियों के अभूतपूर्व धैर्य और अनगिनत बलिदान और त्याग तपस्या के बाद हमारे राम आ गए, हमारे रामलला टेंट में नहीं रहेंगे, अब मंदिर में रहेंगे, यह पल अनुपम है इसकी अनुभूति दुनिया के हर कोने पर राम भक्तों को हो रही है। अयोध्या में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की ‘22 जनवरी, 2024 की तिथि एक नए कालचक्र का उद्गम है।” उन्होंने कहा, ‘‘मैं दिव्य अनुभव कर रहा हूँ जिनकी कृपा से यह कार्य सिद्ध हुआ है।”

 

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