वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने महिला आरक्षण विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। पी. चिदंबरम ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि, विधेयक भले ही कानून बन गया हो, लेकिन यह कई सालों तक सच्चाई में नहीं बदलेगा। यह एक चिढ़ाने वाला भ्रम है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिला आरक्षण विधेयक को अपनी सहमति दे दी है, जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है।

एक्स (ट्विटर का बदला हुआ नाम) पोस्ट में पी. चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने दावा किया है कि, ”महिला आरक्षण विधेयक “कानून” बन गया है। लेकिन ऐसे कानून का क्या फायदा जो कई वर्षों तक लागू नहीं किया जाएगा, निश्चित रूप से 2029 के लोकसभा चुनावों से पहले तो लागू नहीं किया जाएगा? ये कानून एक चिढ़ाने वाला भ्रम है। ये ठीक वैसे ही है, जैसे हम पानी के कटोरे में चंद्रमा का प्रतिबिंब देखते हैं।” चिदंबरम ने आगे कहा कि, कई लोगों ने कहा है, बिल एक “चुनावी जुमला” है। जो सच बात है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी विधेयक को मंजूरी

शुक्रवार (29 सितंबर) को जारी कानून मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी।
अब, इसे आधिकारिक तौर पर संविधान (106वां संशोधन) अधिनियम के रूप में जाना जाएगा।

इसके प्रावधान के मुताबिक, यह उस तारीख से लागू होगा जो केंद्र सरकार आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा निर्धारित करेगी। इस महीने की शुरुआत में संसद के एक विशेष सत्र के दौरान प्रधा मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कानून को “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” बताया था।

क्यों लगेगा कानून के लागू होने में वक्त…?

संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा ने लगभग सर्वसम्मति से और राज्यसभा ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इस कानून को लागू होने में कुछ समय लगेगा क्योंकि अगली जनगणना और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया ही, लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण – महिलाओं के लिए निर्धारित की जाने वाली विशेष सीटों का पता लगाएगी।

लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए कोटा 15 साल तक जारी रहेगा और संसद बाद में लाभ की अवधि बढ़ा सकती है। जबकि अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की महिलाओं के लिए कोटा है लेकिन विपक्ष ने मांग की थी कि इसका लाभ अन्य पिछड़ा वर्ग तक बढ़ाया जाए।

 

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