किसानों का विरोध प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा। किसानों ने केंद्र सरकार के 5 वर्षीय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के नए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। किसानों ने कहा है वे ‘दिल्ली चलो अभियान’ के तहत 21 फरवरी को दिल्ली कूच करेंगे।
प्रदर्शनकारी किसानों ने एमएसपी पर की केंद्र सरकार की नई योजना को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह किसानों के हित में नहीं है। सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि वे 21 फरवरी की सुबह अपना ‘दिल्ली चलो’ मार्च फिर से शुरू करेंगे।
किसान नेताओं ने कहा कि सरकार के एमएसपी प्रस्ताव में स्पष्टता नहीं है और वे सिर्फ दालों, मक्का और कपास की फसलों पर ही नहीं बल्कि सभी 23 फसलों पर एमएसपी चाहते हैं।
केंद्र सरकार और किसानों के बीच रविवार (18 फरवरी) को चौथे दौर की बातचीत हुई, जहां केंद्र ने सरकारी एजेंसियों द्वारा एमएसपी पर दालों, मक्का और कपास की फसलों की खरीद से जुड़ी पांच साल की योजना पेश की थी।
सरकार के साथ बातचीत के बाद क्या-क्या हुआ?
- सरकार के साथ वार्ता के बाद, किसान नेताओं ने घोषणा की थी कि वे प्रस्ताव का अध्ययन करते हुए दिल्ली मार्च दो दिनों तक रोकेंगे।
- सोमवार (19 फरवरी) को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार 1.75 लाख करोड़ रुपये की लागत से पाम तेल का आयात करती है। उन्होंने कहा कि अगर यह राशि किसानों द्वारा उगाए जाने वाले तिलहन के लिए निर्धारित की जाती है, तो इससे उन्हें लाभ होगा।
- उन्होंने कहा कि सरकार के प्रस्ताव से केवल उन किसानों को लाभ होगा जो फसल चक्रों के बीच चावल के अनाज से दालों की खेती करते हैं।
- किसान नेता ने कहा कि फिलहाल सरकार के साथ कोई बैठक की योजना नहीं है लेकिन वे बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं।
किसानों ने कहा- हमारी मांगों को पूरा कीजिए, नहीं तो हमें दिल्ली में विरोध करने दीजिए
- किसानों ने सरकार से अपील की कि या तो किसानों द्वारा उठाई गई मांगों को पूरा किया जाए या उन्हें दिल्ली में शांतिपूर्वक विरोध करने की अनुमति दी जाए। उन्होंने सभी प्रदर्शनकारी किसानों से हिंसा न करने का भी आग्रह किया।
- किसान नेताओं ने यह भी कहा कि पंजाब-हरियाणा सीमा पार करने की कोशिश के दौरान उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई में 400 किसान घायल हो गए हैं। किसान नेता ने कहा है कि, हरियाणा के डीजीपी का यह दावा कि पैलेट गन का इस्तेमाल नहीं किया गया, ये गलत है।
- उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को किसानों को लगी चोटों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिए।
- किसानों ने 20 फरवरी की आधी रात तक इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने के लिए पंजाब सरकार की भी आलोचना की और पूछा कि क्या यह केंद्र सरकार के आदेश पर किया गया है।
- उन्होंने इस बात पर स्पष्टीकरण की मांग की कि पंजाब सरकार ने ब्रॉडबैंड सेवा प्रदाताओं को प्रतिबंध लगाने के लिए लिखित आदेश क्यों जारी किए हैं?