हरदोई में सड़कों के निर्माण में हुए घोटाले के मामले में सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर 16 अभियंताओं को निलंबित कर दिया गया है, जिनमें एक अधीक्षण अभियंता और दो अधिशासी अभियंता भी शामिल हैं। इन अभियंताओं को लोक निर्माण विभाग मुख्यालय से संबद्ध कर विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।

बता दें कि मुख्यमंत्री योगी ने अक्टूबर महीने में प्रदेश के दस जिलों में बन रही सड़कों की जांच के निर्देश दिए थे। इसके बाद प्रमुख सचिव अजय चौहान की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई, जिसमें लोक निर्माण विभाग के सलाहकार वीके सिंह और विभागाध्यक्ष योगेश पवार भी शामिल थे। यह समिति हरदोई में पलिया-लखनऊ राष्ट्रीय मार्ग, रद्देपुर, सकतपुर सांडी, शाहाबाद मार्ग के चौड़ीकरण के काम की जांच करने पहुंची थी। साथ ही हरदोई सांडी मार्ग के नवीनीकरण, बेहट मंसूरनगर मार्ग के चौड़ीकरण और मझिला से खटेली संपर्क मार्ग की मरम्मत कार्यों की भी जांच की गई थी।

जांच में पाया गया कि सड़कों के निर्माण में मानक के मुताबिक सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया था। खासकर, सड़क निर्माण में तारकोल की मात्रा बेहद कम थी, जिससे यह संभावना जताई गई कि सड़क कुछ महीनों में ही उखड़ जाएगी। साथ ही गिट्टी और अन्य सामग्रियों की भी कमी थी। जांच के दौरान लिए गए सड़कों के नमूनों में से सभी फेल हो गए थे। इसके बाद विभाग ने कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा था।

सीएम योगी के निर्देश पर तत्कालीन अधीक्षण अभियंता सुभाष चंद्र, अधिशासी अभियंता सुमंत कुमार और शरद कुमार मिश्रा को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा सहायक अभियंता राजवीर सिंह, संतोष कुमार पांडे, जीएन सिंह, रितेश कटियार और कृष्णकांत मिश्रा सहित आठ अवर अभियंताओं को भी निलंबित किया गया है। विभाग ने आगे और जांच के लिए नौ अन्य जिलों के सड़क निर्माण सैंपल भी प्रयोगशाला भेजे हैं, जिनकी रिपोर्ट आने के बाद और कार्रवाई की जाएगी।

 

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