उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ‘मिशन रोजगार’ के अंतर्गत उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) द्वारा चयनित 647 वन रक्षकों/वन्यजीव रक्षकों एवं 41 अवर अभियंताओं के नियुक्ति-पत्र वितरण हेतु कार्यक्रम में पहुंचे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि ”आज नियुक्ति पाने वाले 688 में से 124 से अधिक बालिकाएं चयनित हुई हैं। सीएम ने कहा कि 2017 के पहले शुचितापूर्ण भर्ती संभव नहीं थी। उस समय के सभी आयोग व बोर्ड पर प्रश्न खड़े हो रहे थे। उनके कार्य व चयन संदेह के घेरे में थे। आज भी तमाम में सीबीआई जांच चल रही है। उन लोगों ने ईमानदारी से कार्य नहीं किया। उस समय सरकारों की कार्यपद्धति के कारण युवाओं के भविष्य से न सिर्फ खिलवाड़ किया गया, बल्कि प्रदेश को पहचान के संकट के दौर से भी गुजारा गया। आज युवाओं को बिना सिफारिश के नौकरी मिल रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ”2017 के पहले युवा जब यूपी से बाहर जाता था और किसी ने पूछ लिया कि कहां से आए हो, यूपी का बताने पर होटल, धर्मशाला व किराए पर कमरे नहीं मिलते थे। पहचान का संकट पैदा करने वाले वही लोग हैं, जो पेपर लीक करने वाले गैंग के सरगनाओं को अपना शागिर्द बनाते थे। नियुक्ति की भर्ती प्रक्रिया निकलने के बाद जिनकी सूची चली जाती थी और वसूली प्रारंभ होती थी। गरीब व मेधावी छात्र को नियुक्ति नहीं मिल पाती थी, बल्कि नियुक्ति बैकडोर से होती थी। युवा आत्महत्या को मजबूर होता था। उन्होंने पूछा कि जिन लोगों ने कभी अच्छा किया ही नहीं, अच्छा होने पर उन्हें बुरा लगेगा ही। वह एक्सपोज हो रहे हैं, इसलिए दुष्प्रचार का सहारा लेते हैं। उनसे पूछा जाना चाहिए कि जब उनकी सरकार थी तो क्या कर रहे थे। भर्ती प्रक्रिया क्यों पारदर्शी ढंग से नहीं हो पा रही थी। क्यों न्यायपालिका को बार-बार भर्ती प्रक्रियाओं को रोकना पड़ा था।
योगी ने कहा कि 1.55 लाख पुलिस कार्मिको के पद खाली पड़े थे। हम लोग आए तो समयसीमा के अंदर इसे भर दिया। 1.64 लाख शिक्षकों की भर्ती बेसिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा में संपन्न की। साढ़े छह लाख नौजवानों को हमारी सरकार में नौकरी मिली। 2017 के पहले भर्ती को लेकर सरकार की नीयत अच्छी नहीं थी। भ्रष्टाचार व घूसखोरी उनकी पहचान बन चुकी थी। आज प्रदेश को उससे मुक्त किया गया। ऐसे तत्वों पर लगाम कसी गई है। गिरोह का व्यक्ति परेशान होगा तो सरगना भी परेशान होगा। परेशान होने पर कुछ न कुछ बोलेगा ही। डकैत भी बिना प्रमाण खुद को दोषी नहीं मानता। फुटेज दिखाने पर ही कहता है कि गलती हो गई। यह भी गलती करते हैं, लेकिन स्वीकार नहीं करते। इन्हें फुटेज दिखाते हैं, फिर अहसास कराना पड़ता है कि तुमने गलती की है। इसलिए जनता बार-बार ठुकरा रही है।