सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह को अवमानना का नोटिस भेजा है। शीर्ष अदालत ने उन्हें कैदियों की समय पूर्व रिहाई के मामले में कोई कार्रवाई न करने को लेकर यह नोटिस जारी है। कोर्ट ने याची के वकील ऋषि मल्होत्रा से अवमानना याचिका की प्रति यूपी की अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद को देने को कहा है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की पीठ इस मामले की अगली सुनवाई 8 मई को करेगी।

अदालत ने प्रति वादियों को निजी रूप से पेश होने में छूट प्रदान की है, लेकिन अगली तारीख पर उन्हें वर्चुअल माध्यम से उपस्थित रहने के लिए कहा गया है। कोर्ट ने कहा कि बंदियों की समय पूर्व रिहाई संबंधी आवेदन का तीन माह के अंदर निपटारा करने के आदेश पिछले साल मार्च में ही दिए गए थे, लेकिन याचिकाकर्ता नीरज के मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इससे पहले फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद के सजायाफ्ता कैदियों की समय से पहले रिहाई को लेकर अहम दिशा निर्देश जारी किया था। अदालत ने सभी दोषियों की प्री मेच्योर रिलीज मामलों का निपटारा तीन महीने में ही करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने यह आदेश सभी राज्य सरकारों को दिया था।सुनवाई के दौरान यूपी डीजी जेल ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा कर बताया कि प्रदेश की जेलों में 1,16,0000 कैदी बंद हैं।

जिनमें से 88 हजार के खिलाफ अभी मुकदमा चल रहा है, 26734 में से 16262 आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। जिनमें से 2228 कैदी 14 साल की सजा काट चुके हैं। पिछले 5 सालों में 37 हजार से अधिक कैदियों को समय पूर्व रिहा किया जा चुका है। बता दें कि उत्तर प्रदेश देश के उन राज्यों में शुमार है, जहां की जेलों में कैदी क्षमता से कहीं अधिक रह रहे हैं। जेलों में कैदियों की भीड़ को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं।

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