मोदी सरनेम मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए आधे घंटे का वक्त दिया गया, जिसमें दोनों पक्षों के वकीलों को बोलने के लिए 15-15 मिनट मिले। इस बीच राहुल गांधी की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले में दलील दी, उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में जिन लोगों का नाम लिया है, उनमें से किसी ने मुकदमा नहीं किया लेकिन सिर्फ बीजेपी के नेता ही इसमें मुकदमा कर रहे हैं। वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता का असली सरनेम मोदी नहीं है, वह मोध सरनेम से मोदी बने हैं। उन्होंने यह भी दलील दी कि गवाहों ने साफ कहा है कि राहुल ने पूरे समुदाय का अपमान नहीं किया।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ये कोई अपहरण, रेप या हत्या का केस नहीं है, ऐसा काफी कम ही होता है जहां इस तरह के केस में 2 साल की सजा हुई हो. सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान अभिषेक मनु सिंघवी को टोकते हुए कहा कि आप यहां राजनीतिक बहस ना करें, इसे राज्यसभा के लिए बचाकर रखें. इस पर सिंघवी भी मुस्कुरा दिए. राहुल गांधी के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास राहुल गांधी के खिलाफ कोई सबूत नहीं है, जो शिकायत दर्ज की गई है वह भी अखबार की कटिंग के आधार पर है जो व्हाट्सएप पर मिला था।
इससे पहले 2 अगस्त को हुई सुनवाई में राहुल ने कोर्ट में जवाब दाखिल किया था जिसमें बताया था कि कानूनी प्रकिया का दुरुपयोग हुआ है। माफी मांगने से मना करने पर मुझे अहंकारी कहा गया, ये निंदनीय है।
वहीं, राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक ताजा जवाबी हलफनामा दायर कर अपनी सजा पर रोक लगाने की गुहार लगाई। अपने हलफनामे में गांधी ने कहा है कि उन्होंने हमेशा कहा है कि वो इस मामले में दोषी नहीं हैं और उनको दी गई सजा कानूनी कसौटी पर आगे खड़ा उतरने वाला नहीं है। शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी के माफी मांगने वाले बयान के संदर्भ में गांधी ने कहा कि अगर उन्हें माफी मांगनी होती तो पहले ही मांग लिया होता।
गांधी ने अपने हलफनामे में आगे कहा,‘‘बहुत मामूली अपराध को देखते हुए यह बहुत असाधारण मामला है। एक चुने हुए सांसद के रूप में उन्हें (याचिकाकर्ता) को अपूर्णीय क्षति हुई है। इस वजह से उनकी सजा पर रोक लगा दी जाए, ताकि वह लोकसभा के मौजूदा और आगे आने वाले सत्रों में भाग ले सकें।”
बता दें कि अगर राहुल को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो वे 2031 तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। राहुल को इस मामले में 23 मार्च 2023 को 2 साल की सजा सुनाई गई थी। नियम के मुताबिक, सजा पूरी होने के 6 साल बाद तक चुनाव लड़ने पर रोक रहती है। ऐसे में 2025 में उनकी सजा पूरी होगी और उसके बाद 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक रहेगी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वर्ष 2019 की एक टिप्पणी के मामले में आपराधिक मानहानि का दोषी ठहराए जाने और इसके लिए दो साल की सजा देने के मामले में निचली अदालत के फैसले पर मुहर लगाने वाले गुजरात उच्च न्यायालय के 7 जुलाई के फैसले के खिलाफ 15 जुलाई 2023 को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में आपराधिक मानहानि के लिए दी गई 2 साल की सजा गांधी की सांसद की सदस्यता चली गई थी।
गांधी केरल के वायनाड से सांसद थे। गांधी ने बैंक कर्ज घोटाले के आरोपियों में शामिल नीरव मोदी एवं कुछ अन्य का नाम लेते हुए 2019 में एक सभा को संबोधित करते हुए कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उनकी टिप्पणी कि ‘ये सभी चोरों के उपनाम मोदी ही क्यों हैं’ के लिए निचली अदालत ने मानहानि का दोषी माना था। इसके लिए दो साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले को राहुल गांधी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन सजा पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। बारह जुलाई को कांग्रेस नेता गांधी के खिलाफ भाजपा के विधायक मोदी ने उच्चतम न्यायालय में एक ‘कैविएट’ दायर की थी।
मोदी की अपराधिक मानहानि की शिकायत के बाद गांधी पर मुकदमा दर्ज किया गया था और बाद में अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया था। इसकी वजह से कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता समाप्त होने के बाद उन्हें नई दिल्ली के लुटियंस जोन स्थित अपना आधिकारिक आवास भी खाली करना पड़ा था। यह आवास उन्हें सांसद होने के नाते आवंटित किया गया था। भाजपा विधायक ने शीर्ष अदालत में कैविएट दायर कर गुहार लगाई थी कि यदि गांधी उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हैं तो सुनवाई करते समय उनका (शिकायत करने वाले मोदी) पक्ष भी सुना जाए। मानहानि का यह मामला 2019 का है। इस मामले में 23 मार्च 2023 को सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने गांधी को मानहानि के अपराध के लिए दोषी ठहराया था। इस अपराध के लिए उन्हें अधिकतम दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। बाद में सत्र न्यायाधीश की अदालत ने सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के फैसले को बरकरार रखा था।