भारत के जम्मू और कश्मीर की रहने वाली पत्रकार और एक्टिविस्ट याना मीर हाल ही में यूके गई, जहाँ संसद में उनका सम्मान किया गया। यूके में संकल्प दिवस का आयोजन किया गया और इस अवसर पर याना को जम्मू और कश्मीर में विविधता के प्रचार के लिए विविधता राजदूत पुरस्कार से सम्मानित किया गया। याना ने इस अवसर पर न सिर्फ भारत का शानदार तरीके से प्रतिनिधित्व किया, बल्कि पाकिस्तान समेत उन सभी लोगों को भी मुंहतोड़ जवाब दिया जो भारत की छवि खराब करते हैं। यूके की ससंद में याना का भाषण सुनकर वहाँ मौजूद लोगों ने याना के लिए जमकर तालियाँ बजाई।
अपने भाषण में याना ने कहा, “मैं मलाला यूसुफज़ई नहीं हूं। मैं मलालायूसुफ ज़ई नहीं हूं क्योंकि मैं स्वतंत्र हूं और मैं अपने देश, भारत, अपनी मातृभूमि कश्मीर, जो भारत का हिस्सा है, में सुरक्षित हूं। मुझे कभी भी अपनी मातृभूमि से भागकर आपके देश (यूके) में शरण लेने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। मैं कभी भी मलाला यूसुफ़ज़ई नहीं बनूंगी। लेकिन मुझे मलाला यूसुफज़ई द्वारा मेरे देश, मेरी प्रगतिशील मातृभूमि को उत्पीड़ित कहकर बदनाम करने पर आपत्ति है। मुझे सोशल मीडिया और विदेशी मीडिया पर मौजूद ऐसे सभी टूलकिट सदस्यों से आपत्ति है, जिन्होंने कभी भी भारतीय कश्मीर का दौरा करने की परवाह नहीं की, लेकिन वहाँ उत्पीड़न की कहानियाँ गढ़ीं। मैं आप सभी से आग्रह करती हूं कि धर्म के आधार पर भारतीयों का ध्रुवीकरण करना बंद करें। इस साल संकल्प दिवस पर हम आपको हमें तोड़ने नहीं देंगे। मुझे बस यही उम्मीद है कि ब्रिटेन और पाकिस्तान में रहने वाले अपराधी अंतर्राष्ट्रीय मीडिया, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मंचों पर मेरे देश को बदनाम करना बंद कर देंगे। अवांछित, चयनात्मक आक्रोश बंद करें। यूके में अपने आरामदायक लिविंग रूम से बैठकर दूर भारतीय समाज का ध्रुवीकरण करने की कोशिश करना बंद करें। आतंकवाद के इस अंधेरे वाले गड्ढे के कारण हज़ारों कश्मीरी माताएं पहले ही अपने बेटों को खो चुकी हैं। हमारे पीछे मत पड़ो। मेरे कश्मीरी समुदाय को शांति से रहने दो। धन्यवाद और जय हिंद।”
याना ने यूके की संसद में भारतीय सेना की भी तारीफ की। याना ने कहा कि भारतीय सेना जम्मू और कश्मीर में अच्छा काम कर रही है। साथ ही याना ने अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू और कश्मीर में आए सकारात्मक बदलाव की भी तारीफ की।