पिछले महीने अबू धाबी में फांसी की सजा पाने वाली भारतीय महिला (शहजादी खान) के पिता ने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी शहजादी खान को न्याय नहीं मिला और भारत सरकार ने परिवार को कोई सहायता नहीं दी। परिवार के वकील अली मोहम्मद ने फांसी को ‘न्यायिक हत्या की आड़ में न्यायेतर हत्या’ करार दिया है। शहजादी खान (33) को अबू धाबी में 4 महीने के बच्चे की कथित तौर पर हत्या को लेकर 15 फरवरी को फांसी दी गई थी।

UP में बांदा जिले के गोयरा मुगलई गांव की रहने वाली थी शहजादी
मिली जानकारी के मुताबिक, शहजादी उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के गोयरा मुगलई गांव की रहने वाली थी। शहजादी के पिता शब्बीर खान ने एक न्यूज एजेंसी से कहा कि उसे न्याय नहीं मिला, सर। हमने अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया। शब्बीर खान ने कहा कि हमने भारत सरकार से संपर्क किया और कई जगहों पर आवेदन दिए, लेकिन हमारे पास न तो पैसे थे और न ही वहां जाकर वकील करने का कोई साधन था। सरकार ने हमारा साथ नहीं दिया।

10 फरवरी, 2023 से अबू धाबी पुलिस की हिरासत में थी शहजादी
शहजादी खान 10 फरवरी, 2023 से अबू धाबी पुलिस की हिरासत में थी और उसे 31 जुलाई, 2023 को मौत की सजा सुनाई गई थी। उसे फांसी दिए जाने की खबर सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान सामने आई, जब विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि उसे पिछले महीने फांसी दी जा चुकी है। उसका अंतिम संस्कार अबू धाबी में 5 मार्च को होगा। शहजादी खान के परिवार को 28 फरवरी तक उसे फांसी दिए जाने के बारे में जानकारी नहीं थी। इसकी आधिकारिक पुष्टि होने पर परिवार को जानकारी मिली। शब्बीर खान ने कहा कि उन्होंने अपनी बेटी से आखिरी बार 14 फरवरी को बात की थी। इसके एक दिन बाद ही उसे फांसी दी गई। 

जानिए, क्या कहना है शहजादी के पिता शब्बीर खान का?
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने कोई समर्थन का आश्वासन दिया था, इसपर शब्बीर खान ने कहा कि नहीं, हमें कोई सहायता नहीं मिली। उन्होंने कहा कि उनके परिवार ने नेताओं और यहां तक ​​कि फिल्मी हस्तियों से भी संपर्क किया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि योगी जी (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) और मोदी जी (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) की बेटियां नहीं हैं, इसलिए वे इस दर्द को नहीं समझ सकते। अगर उनका कोई करीबी होता, तो वे कार्रवाई करते। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि भारतीय दूतावास ने शहजादी को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सरकार के सामने दया याचिका और माफी का अनुरोध भेजने समेत हर संभव कानूनी सहायता प्रदान की। संयुक्त अरब अमीरात में शहजादी को एक शिशु की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था और उसे मौत की सजा सुनाई गई थी।

संयुक्त अरब अमीरात की सर्वोच्च अदालत ‘कोर्ट ऑफ कैसेशन’ ने इस सजा को बरकरार रखा । संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारियों ने 28 फरवरी, 2025 को (भारतीय) दूतावास को सूचित किया कि शहजादी की सजा पर अमल स्थानीय कानूनों के अनुसार किया गया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि शहजादी के परिवार को मामले की जानकारी दे दी गई है। शब्बीर खान ने बताया कि उनकी बेटी अबू धाबी में नाजिया नाम की एक महिला के लिए काम करती थी, जिसने हाल में एक बच्चे को जन्म दिया था।

जानिए, क्या था पूरा मामला?
शब्बीर खान के अनुसार, जब बच्चा 4 महीने का था, तो उसे एक टीका लगाया गया था, जो आमतौर पर 6 महीने में दिया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि शिशु की मौत टीके की वजह से हुई थी, लेकिन शहजादी पर गलत तरीके से हत्या का आरोप लगाया गया और उसे मौत की सजा सुनाई गई। शब्बीर खान ने दावा किया कि बच्चे की मां ने शहजादी की दोषसिद्धि सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया, जिसके कारण उसे फांसी की सजा मिली। शहजादी के पारिवारिक वकील अली मोहम्मद ने सोमवार को एक न्यूज एजेंसी को बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष उनकी नवीनतम याचिका केवल यह पता लगाने के लिए दायर की गई थी कि क्या वह अभी जीवित है या उसे अबू धाबी में फांसी दे दी गई है। उन्होंने कहा कि हमने भारतीय दूतावास, प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर मामले को आगे ले जाने की अपील की। लेकिन अंत में क्या हुआ, हम नहीं कह सकते।

5 मार्च को अबू धाबी में किया जाएगा शहजादी का अंतिम संस्कार
मोहम्मद के अनुसार, शहजादी के पिता को 14 फरवरी को एक फोन आया जिसमें बताया गया कि यह उसकी (शहजादी की) इच्छा के अनुसार उसकी आखिरी बातचीत थी और उसे एक या दो दिन में फांसी दे दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हमने 21 फरवरी को फिर से प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय से संपर्क किया, लेकिन कोई जानकारी नहीं दी गई। 2-3 दिन बाद हमने अदालत में रिट याचिका दायर की और आज आधिकारिक पुष्टि हुई कि उसे फांसी दे दी गई है। उसका अंतिम संस्कार पांच मार्च को अबू धाबी में किया जाएगा। मोहम्मद ने इस दावे का पुरजोर खंडन किया कि भारत सरकार ने कोई आश्वासन दिया था या कोई सहायता प्रदान की। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि यदि परिवार के सदस्य अंतिम संस्कार के लिए अबू धाबी जाना चाहते हैं, तो सरकार ने सहायता की पेशकश की है।

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