मेरठ में कर्बला की जंग में अपने 72 साथियों के साथ शहीद हुए नवासा-ए-रसूल इमाम हुसैन और शहीदाने करबला की याद में मनाया जाने वाला चेहल्लुम का जुलूस बृहस्पतिवार को अब्दुल्लापुर में निकाला गया। जुलूस में जुलजन्हा, अलम और ताजिये निकाले गए।

इस्लामिक वर्ष के पहले माह मोहर्रम की 10 तारीख को कर्बला की जंग में नवासा- ए-रसूल इमाम हुसैन को शहीद कर दिया गया था। इसी क्रम में शहादते हुसैन के 40 दिन पूरे होने पर शिया मुसलमानों द्वारा चेहल्लुम (चालीसवा) मनाया जाता है। बृहस्पतिवार को अब्दुल्लापुर में चेहल्लुम का जुलूस मोहल्ला कोर्ट इमामबाड़ा शाकिर महल से निकाला गया।

जुलूस इमामबाड़ा कोर्ट से शुरू होकर अहमदपुरा होते हुए करबला पहुंचा। करबला में पहुंचकर ताज़िये दफन किए गए और मातमपुर्सी की गई। जुलूस से पूर्व एक मजलिस मोहल्ला गढी मकतब में हुई, जिसको दिल्ली से आए मौलाना सफदर हुसैन बाकरी ने खिताब किया। जुलूस में सभी सोगवारों ने मातमपुर्सी की और नोहेखानो ने नोहे पढ़े।

जुलूस के दौरान कमर आलम, जामिन, रोशन अब्बास, पीरू आदि लोगों ने नोहे पढे। इमाम हुसैन का चेहल्लुम हिंदुस्तान के साथ-साथ संपूर्ण विश्व में चेहल्लुम (चालीसवा) का आयोजन किया जाता है। कर्बला इराक़ में इमाम हुसैन का चेहलुम मनाने इस वर्ष जो आंकड़ा लगाया गया, वो आकड़ा 23 करोड़ लोगों के पहुंचने का आंकड़ा है।

चेहल्लुम मुसलमानों के कैलेंडर के मुताबिक सफर के महीने की 20वीं तारीख को पड़ता है। वहीं अब्दुल्लापुर मे पुलिस प्रशासन की तरफ़ से सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम रहे। मोहर्रम रज़ाकार कमेटी की तरफ़ से उत्तरप्रदेश हज कमेटी सदस्य शौक़त अली, रजा अहमद, सरफराज अली, नादिर, फैसल, मंसूर, हसन अफरोज, जाँन अब्बास, रहबर अली, शालू जैदी व शाकिर आदि लोगों का सहयोग रहा।

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